बीमारियों से परेशान होने के बाद भी कुछ लोग वैक्सीन क्यों नहीं चाहते?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही दुनिया इस समय वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है।
कई जानकार वैक्सीन को लेकर अब हुई प्रगति को बड़ी कामयाबी बता रहे हैं। हालांकि, सब लोग इससे खुश हैं, ऐसा भी नहीं है।
कुछ लोग हैं जो वैक्सीन का विरोध भी कर रहे हैं। यह विरोध सिर्फ कोरोना वायरस के समय नहीं बल्कि इससे पहले से चला आ रहा है।
आइये, जानते हैं कि इस विरोध की वजह क्या है।
जानकारी
लगातार चर्चा में रहे हैं वैक्सीन के विरोधी लोग
वैक्सीन का विरोध करने वाले लोग लगातार चर्चा में रहे हैं। पहले कुछ लोगों ने अलग-अलग कारण बताते हुए वैक्सीन की खुराक नहीं ली। कोरोना के समय में लोग वैक्सीन को "डिजिटल आईडी" बताते हुए बनने से पहले ही लेने से मना कर रहे हैं।
इतिहास
क्या हमेशा से वैक्सीन का विरोध होता रहा है?
वैक्सीन का विरोध कोई नया नहीं है। जब से वैक्सीन बननी शुरू हुई हैं, तब से कुछ लोग इनका विरोध कर रहे हैं।
19वीं सदी में चेचक की वैक्सीन का इस्तेमाल बड़े स्तर पर शुरू हुआ तो इसकी खूब आलोचना हुई।
आलोचना करने वाले स्वच्छता, धार्मिक और राजनीतिक कारणों के चलते इसके खिलाफ बोल रहे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे, जो यह कह रहे थे वैक्सीन की खुराक लेना उनके धर्म के खिलाफ है।
विरोध
1970 के दशक में हुआ DTP वैक्सीन का विरोध
70 के दशक में जब DTP की वैक्सीन आई तो इसे दिमागी बीमारियों से जोड़ दिया गया।
विशेषज्ञों का कहना था कि कुछ मामलों में वैक्सीन दिमाग पर असर डाल सकती है, लेकिन इसका खतरा बहुत कम है।
यह विरोध इतना बढ़ गया था कि लोगों को इसकी खुराक देने के लिए कानून लाया गया था।
ऐसे में कहा जा सकता है कि वैक्सीन का विरोध सिर्फ कोरोना काल से ही नहीं बल्कि बहुत पहले से चला आ रहा है।
जानकारी
ऑस्ट्रेलिया में लागू किया गया कड़ा कानून
ऑस्ट्रेलिया में वैक्सीन के बढ़ते विरोध के बीच कड़ा कानून लागू किया गया था। यहां अगर किसी बच्चे को वैक्सीन की खुराक नहीं मिली है तो उसे स्कूल में दाखिला नहीं दिया जाता था। इससे मजबूर होकर अभिभावकों को खुराक दिलाने पर मजबूर होना पड़ा।
विरोध की वजह
किन कारणों से होता है वैक्सीन का विरोध?
वैक्सीन का विरोध करने वाले लोगों के पास इसकी कई वजहें हैं। कुछ लोग इस वजह से भी वैक्सीन नहीं लेते क्योंकि उनको एलर्जी की शिकायत होती है। हालांकि, एलर्जी के कारण विरोध करने वाले कम ही लोग हैं।
कुछ कहते हैं कि महामारी बेअसर होना शुरू हो गई है इसलिए उन्हें वैक्सीन की जरूरत नहीं है।
कुछ सोचते हैं कि वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट होते हैं, जिससे उनकी मौत भी हो सकती है।
वैक्सीन का विरोध
धार्मिक विश्वास के कारण भी होता आया है विरोध
इनके अलावा कुछ लोग अपने धार्मिक विश्वासों के कारण भी वैक्सीन का विरोध करते हैं।
वहीं एक समय कुछ लोग ऐसा मानते थे कि साफ-स्वच्छता के कारण बीमारियां गायब हो रही है, लेकिन फिर से उन बीमारियों के उभार ने इस भरोसे को भी तोड़ दिया है।
कुछ लोग इस वजह से भी वैक्सीन का विरोध करते हैं कि खुराक लेने के बाद भी लोग उन्हीं बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं।
जानकारी
WHO ने वैक्सीन विरोधी सोच को माना है खतरनाक
वैक्सीन को मना करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञ वैक्सीन विरोधी सोच को खतरनाक मान रहे हैं। बीते साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैक्सीन के खिलाफ बढ़ती सोच को दुनिया के 10 सबसे बड़े खतरों में शामिल किया था।
अन्य वजहें
ये भी हैं विरोध की वजहें
वैक्सीन के विरोध में बोलने वाले कुछ लोग सोचते हैं कि इसकी खुराक लेने के नुकसान इसके फायदे से ज्यादा है। अमेरिका में अभी लोग इसी आधार पर वैक्सीन का विरोध कर रहे हैं।
वहीं कुछ सोचते हैं कि वैक्सीन की खुराक लेने से वो ऑटिज्म या दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का शिकार हो सकते हैं।
बहुत लोग ऐसे भी हैं जो फार्मा कंपनियों पर भरोसा नहीं करते। उनका कहना है कि ये कंपनियां सिर्फ अपना फायदा देखती हैं।
वैक्सीन का विरोध
विज्ञान पर नहीं है भरोसा
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो फार्मा कंपनियों के साथ-साथ विज्ञान और सरकार पर भी भरोसा नहीं करते। इन लोगों का मानना है कि वैज्ञानिक और फार्मा कंपनियां मिलकर ऐसे उत्पाद बेचना चाहते हैं, जिनका लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो आयुर्वेदिक या प्राकृतिक इलाज को तरजीह देते हैं। ऐसे लोगों की तरफ से भी वैक्सीन के विरोध में आवाज उठाई जाती रही है।
नतीजा
विरोध का उठाना पड़ा है नुकसान
वैक्सीन के इस विरोध का खामियाजा भी लोगों को भुगतना पड़ा है। इसमें अमेरिका के उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका को 2012 में खसरा से मुक्त घोषित कर दिया गया था, लेकिन 2014 में इसके 600 से ज्यादा मामले सामने आए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इन मामलों की वजह ऐसे अभिभावक हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को वैक्सीन की खुराक नहीं देने दी थी।