अगले हफ्ते होगा क्वाड का पहला इन-पर्सन सम्मेलन, हिस्सा लेने अमेरिका जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी
अगले हफ्ते क्वाड (QUAD) देशों का पहला इन-पर्सन सम्मेलन होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें हिस्सा लेने के लिए अमेरिका जाएंगे। अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन इस सम्मलेन की मेजबानी करेंगे और ये 24 सितंबर को व्हाइट हाउस में होगा। व्हाइट हाउस और भारतीय विदेश मंत्रालय दोनों ने बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है। सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल होंगे जो क्वाड समूह में शामिल अन्य दो देश हैं।
कोविड, जलवायु संकट और साइबर स्पेस जैसे मुद्दे रहेंगे बैठक का केंद्र- व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस ने बयान जारी करते हुए कहा कि बाइडन 24 सितंबर को क्वाड नेताओं के पहले इन-पर्सन सम्मेलन का आयोजन करेंगे और इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल होंगे। बयान के अनुसार, क्वाड नेताओं की बातचीत के केंद्र में आपसी रिश्तों को मज़बूत करने और कोविड-19, जलवायु संकट, उभरती तकनीक, साइबर स्पेस जैसे मुद्दे शामिल रहेंगे। इसके अलावा खुला और मुक्त भारत-प्रशांत क्षेत्र भी बैठक का अहम मुद्दा रहेगा।
भारत ने कहा- बैठक में पिछले सम्मेलन की प्रगति की होगी समीक्षा
दूसरी तरफ भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सम्मेलन में सभी देशों के नेता 12 मार्च को हुए पहले वर्चुअल सम्मेलन की प्रगति को देखेंगे और साझा क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। मंत्रालय ने कहा कि बैठक में कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण करने की कोशिशों के तहत शुरू की गई क्वाड वैक्सीन पहल की भी समीक्षा की जाएगी। बता दें कि भारत में दूसरी लहर के कारण ये पहल रुक गई थी।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की पृष्ठभूमि में हो रही है बैठक
गौरतलब है कि क्वाड का ये सम्मेलन ऐसे समय पर होने जा रहा है जब अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है और वहां भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों का प्रभाव लगभग न के बराबर हो गया है। इसके अलावा अफगानिस्तान पर चीन का प्रभाव भी बढ़ा है जो भारत और अमेरिका दोनों के लिए चिंता का विषय है। चीन ने तालिबान के साथ दोस्ताना संबंध बनाने और अफगानिस्तान में निवेश करने की बात कही है।
क्या है क्वाड?
क्वाड लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक समूह है जिसका मुख्य मकसद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना और उसकी दादागीरी को चुनौती देना है। इस समूह की परिकल्पना काफी पुरानी है, लेकिन यह सक्रिय कोरोना महामारी के दौरान चीन की बढ़ती आक्रामकता के बाद हुआ है। मार्च में पहली बार इन चारों देशों के शीर्ष नेताओं ने वर्चुअल बैठक की थी और इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे।