अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर RSS, सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य ने क्या कहा?
अयोध्या विवादित भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सर्वसम्मति से दिए फैसले में कहा कि विवादित भूमि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट को सौंपी जाएगी, जहां मंदिर निर्माण होगा। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या का खास जगह पर पांच एकड़ जमीन दी जाएगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद अलग-अलग पक्षों की प्रतिक्रिया आने लगी है। आइये, इन प्रतिक्रियाओं के बारे में जानते हैं।
प्रधानमंत्री बोले- फैसले से किसी की हार या जीत नहीं
हिंदू महासभा ने किया फैसले का स्वागत
हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। हिंदू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है और सुप्रीम कोर्ट ने विविधता में एकता का संदेश दिया है।
फैसले से असंतुष्ट है सुन्नी वक्फ बोर्ड
इस मामले में पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, "हम इस फैसला का स्वागत करते हैं, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं है। हम आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे।" उन्होंने कहा, "हमें न बराबरी मिली और न ही न्याय। फैसले पर असहमति जताना हमारा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट भी कभी-कभी गलत हो सकता है। कोर्ट ने पहले भी अपने फैसलों पर पुनर्विचार किया है।"
RSS बोला- सरकार को विवाद खत्म करने की पहल करनी चाहिए
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या पर आए फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, "यह मामला दशकों से चला आ रहा था और अब इस पर फैसला आया है। यह किसी की हार और जीत के तौर पर न देखा जाए। हम शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए सभी के प्रयासों की सराहना करते हैं।" उन्होंने कहा कि सरकार को विवाद खत्म करने के लिए पहल करने चाहिए। उन्होंने कहा कि फैसला का विधिवत पालन किया जाएगा।
अमित शाह ने किया फैसले का स्वागत
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा, 'श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वसम्मति से आये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का मैं स्वागत करता हूँ। मैं सभी समुदायों और धर्म के लोगों से अपील करता हूँ कि हम इस निर्णय को सहजता से स्वीकारते हुए शांति और सौहार्द से परिपूर्ण 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के अपने संकल्प के प्रति कटिबद्ध रहें।' उन्होंने फैसले के लिए देश की न्याय प्रणाली व सभी न्यायमूर्तियों का अभिनंदन किया।
फैसले पर योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले से न सिर्फ मंदिर निर्माण के रास्ते खुले हैं बल्कि भाजपा जैसी पार्टियों के लिए इसका राजनीतिकरण करने की कोशिशों के दरवाजे भी बंद हुए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी भगवान राम के मंदिर के निर्माण के पक्ष में हैं। कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में शांति बनाए रखने की अपील की गई है।
नीतीश कुमार बोले- फैसले पर न हो विवाद
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अयोध्या पर आए फैसले के बाद कहा, "यह फैसला सभी को मानना चाहिए और आगे इस फैसले पर कोई विवाद नहीं हो, यही मेरा अपनी राय है। कोर्ट का फैसला है और इस फैसले का सब को सम्मान करना चाहिए। हम लोग का पहले से विचार था कि दोनों पक्ष मिल बैठकर इसका समाधान करें, लेकिन कोर्ट ने जो फैसला किया है निश्चित तौर पर सभी लोगों को उसका सम्मान करना चाहिए।"
केजरीवाल बोले- वर्षों पुराना विवाद खत्म हुआ
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सालों लंबा विवाद खत्म हो गया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद SC की बेंच के पाँचों जजों ने एकमत से आज अपना निर्णय दिया। हम SC के फ़ैसले का स्वागत करते हैं। कई दशकों के विवाद पर आज SC ने निर्णय दिया। वर्षों पुराना विवाद आज ख़त्म हुआ। मेरी सभी लोगों से अपील है कि शांति एवं सौहार्द बनाए रखें'
AIMPLB बोला- ये कैसा इंसाफ
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी फैसले से असंतुष्टि जताई है। बोर्ड के कमाल फारूकी ने कहा, "इसके बदले हमे 100 एकड़ जमीन भी दे तो कोई फायदा नहीं है। हमारी 67 एकड़ जमीन पहले ही एक्वायर की हुई है तो हमको दान में क्या दे रहे हैं वो? हमारी 67 एकड़ जमीन लेने के बाद पांच एकड़ दे रहे हैं। ये कहां का इंसाफ है। "
क्या बोले मध्यस्थता की कोशिश करने वाले रविशंकर
अयोध्या भूमि विवाद सुलझाने के लिए गठित मध्यस्थता पैनल के सदस्य रहे श्री श्री रविशंकर ने कहा फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह मामला लंबे समय से चला आ रहा था और अब नतीजे पर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि समाज में शांति और सद्भावना बनी चाहिए। बता दें कि रविशंकर के अलावा मध्यस्थता पैनल में पूर्व न्यायाधीश एफएम इब्राहिम खलीफुल्ला और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल थे।