आय के मामले में सबसे आगे निकली BJP, इस साल मिले Rs. 1,027 करोड़
क्या है खबर?
दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) आय के मामले में भी सबसे आगे है। BJP को इस वित्तीय वर्ष में भारत में सबसे ज्यादा आय हुई है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक, BJP को 2017-18 में कुल Rs. 1,027.3 करोड़ की आय हुई।
यह पिछली साल की आय से लगभग Rs. 7 करोड़ कम है। ADR ने बताया कि कांग्रेस ने अभी तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं की है।
खर्च
चुनावी बॉन्ड के जरिए BJP को मिले Rs. 210 करोड़
BJP को साल 2016-17 में कुल Rs. 1034.27 करोड़ की आय हुई थी। यह इस साल घटकर Rs. 1,027.34 करोड़ रह गई है।
फिर भी BJP आय के मामले में देश की सबसे बड़ी पार्टी है। पार्टी को अपनी आय में से Rs. 210 करोड़ चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले हैं।
आय के साथ-साथ खर्च में भी BJP सबसे आगे रही। BJP ने 2017-18 में अपनी आय का लगभग 74 फीसदी हिस्सा यानी Rs. 758.47 करोड़ खर्च कर दिए।
कांग्रेस
कांग्रेस ने जमा नहीं की अपनी ऑडिट रिपोर्ट
चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए 31 अक्टूबर, 2018 की समयसीमा दी थी।
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने समयसीमा बीतने के 48 दिन बाद भी अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं की है।
CPI (M) और BSP ने समयसीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा की थी।
CPI ने अपनी रिपोर्ट समयसीमा बीत जाने के एक, NCP ने 20 और BJP ने 24 दिन बाद अपनी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपी थी।
दूसरी पार्टियां
दूसरी पार्टियों की आय और खर्च का हिसाब
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, CPI (M) को इस वित्तीय वर्ष Rs. 104.85 करोड़ की आय हुई, जबकि पार्टी का खर्च Rs. 83.48 करोड़ रहा।
BSP की आय Rs. 51.69 करोड़ और खर्च Rs. 14.78 करोड़, NCP की आय Rs. 8.15 करोड़ और खर्च Rs. 8.84 करोड़ रहा।
वहीं TMC की आय Rs. 5.17 करोड़ और खर्च Rs. 1.76 करोड़ रहा, जबकि CPI ने Rs. 1.10 करोड़ खर्च किए और पार्टी की आय Rs. 1.55 करोड़ रही।
चंदा
पार्टियों को चंदे के रूप में हुई अधिकतर आय
सभी पार्टियों की आय का 86 फीसदी हिस्सा चंदे के रूप में मिला है।
वहीं BJP एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसे चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा मिला है।
बता दें कि चुनावी बॉन्ड का प्रावधान फाइनेंस बिल, 2017 में किया गया था। इसके तहत कंपनियां या आम लोग बिना अपनी पहचान जाहिर किए पार्टियों को चुनावी चंदा दे सकते हैं।
साथ ही चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा देने की कोई सीमा तय नहीं की गई है।
चुनावी बॉन्ड
विवादों में रहा है चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड शुरू से लेकर अब तक काफी विवादों में रहा है। विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए कई आरोप लगाए हैं।
विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार इसके सहारे क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा दे रही है।
साथ ही विपक्ष का कहना है कि बड़े उद्योग घराने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से पार्टी को बड़ी रकम देंगे, जिसके बदले वे सरकार से कुछ रियायत चाहेंगे।
वहीं चुनावी बॉन्ड को कालेधन को सफेद बनाने का जरिया भी कहा गया है।
जानकारी
ADR ने की पारदर्शिता की मांग
ADR लगातार राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (RTI) के तहत लाने की मांग कर रहा है। ADR का कहना है कि राजनीतिक दलों को दान देने वाले सभी दानकर्ताओं के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए।