अयोध्या पर फैसले से असंतुष्ट पक्ष के पास अब कौन से कानूनी विकल्प बचे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने दशकों से चले आ रहे अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुना दिया है। संवैधानिक बेंच ने फैसले में कहा कि 2.77 एकड़ विवादित भूमि रामलला विराजमान को सौंपी जाए। कोर्ट ने सरकार को एक बोर्ड बनाने को कहा है जो मंदिर निर्माण की योजना बनाएगा। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को खास जगह पर पांच एकड़ जमीन दी जाए। सुन्नी वक्फ बोर्ड इस फैसले से संतुष्ट नहीं है।
फैसले से संतुष्ट नहीं है सुन्नी वक्फ बोर्ड
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि बोर्ड आगे की कार्रवाई पर विचार करेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि फैसले से असंतुष्ट पक्ष के पास अब क्या कानूनी विकल्प बचते हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में रिव्यू और क्यूरेटिव पिटिशन दायर की जा सकती है। आइये, इन विकल्पों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पहला विकल्प है रिव्यू पिटिशन
पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने एकमत से यह फैसला सुनाया है। इस फैसले से असंतुष्ट पक्ष रिव्यू पिटिशन यानी पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकेगा। इसके लिए उसके पास 30 दिनों का समय है। इस याचिका में याचिकाकर्ता को यह साबित करना है कि पहले दिए गए फैसले में क्या खामी है। इस पर सुनवाई के दौरान वकीलों की ओर से जिरह नहीं की जाती। कोर्ट द्वारा पहले दिए गए फैसले की फाइलों और रिकॉर्ड्स पर ही विचार किया जाता है।
दूसरा विकल्प है क्यूरेटिव पिटिशन
अगर याचिकाकर्ता को रिव्यू पिटिशन पर आए फैसले पर भी संतुष्टि नहीं होती तो उसके पास क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने का विकल्प होता है। इसका एक मतलब किसी मामले में बड़ी बेंच से सुनवाई भी होता है। यह याचिका दाखिल करने के लिए भी 30 दिन का समय मिलता है। इस सुनवाई में केवल कानूनी पहलुओं पर गौर किया जाता है। इसकी सुनवाई करने वाली बेंच में तीन वरिष्ठतम जजों के अलावा फैसला देने वाले जज शामिल होते हैं।
जिलानी बोले- हमें न बराबरी मिली, न न्याय मिला
अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने कहा, "हमें न बराबरी मिली और न ही न्याय। फैसले पर असहमति जताना हमारा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट भी कभी-कभी गलत हो सकता है। कोर्ट ने पहले भी अपने फैसलों पर पुनर्विचार किया है। अगर हमारी वर्किंग कमेटी फैसला लेती है तो हम भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।"