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भाजपा के लिए 'किंगमेकर' बने गोपाल कांडा, कभी पार्टी ने किया था उनके खिलाफ प्रदर्शन

भाजपा के लिए 'किंगमेकर' बने गोपाल कांडा, कभी पार्टी ने किया था उनके खिलाफ प्रदर्शन

Oct 25, 2019
03:08 pm

क्या है खबर?

हरियाणा में खंडित जनादेश के बाद जो एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो है गोपाल कांडा। कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख हैं और सिरसा से चुनाव जीते हैं। किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने के बाद उनकी अहमियत बढ़ गई है। उन्होंने अपना समर्थन 40 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी को दिया है और निर्दलीय विधायकों को भाजपा की ओर करने में भी वह अहम भूमिका निभाते हुए नजर आ रहे हैं।

बयान

कांडा ने कहा, विधायकों ने बिना शर्त दिया समर्थन

शुक्रवार को समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए गोपाल कांडा ने कहा, "सभी निर्दलीय 5-6 साथियों ने कल रात को ही भाजपा के शीर्ष नेताओं से बात करके बिना शर्त अपना समर्थन भाजपा को दे दिया।"

बयान

कांडा ने खुद को बताया RSS के परिवार का हिस्सा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ अपने और अपने परिवार के संबंधों का जिक्र करते हुए कांडा ने आगे कहा, "1926 से मेरे पिता RSS में थे और मेरे पिता ने पहला आम चुनाव जनसंघ की टिकट पर लड़ा। हम तो परिवार का एक हिस्सा हैं। हम सब ने बिना शर्त भाजपा को अपना समर्थन हरियाणा में सरकार बनाने के लिए दे दिया है।" मंत्री पद की संभावना पर उन्होंने कहा कि इसे लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है।

जानकारी

कभी भाजपा ने किया था कांडा के खिलाफ प्रदर्शन

इस बीच आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज जो कांडा भाजपा के लिए किंगमेकर की भूमिका निभा रहे हैं, भाजपा ने एक समय उनके खिलाफ प्रदर्शन किया है। ये पूरा मामला और कांडा का इतिहास क्या है, आइए आपको बताते हैं।

शुरूआत

रेडियो रिपेयर की दुकान से की कांडा ने शुरूआत

गोपाल कांडा कभी सिरसा में रेडियो रिपेयर की दुकान चलाते थे। इसके बाद उन्होंने पहले जूते-चप्पल की दुकान और फिर जूते की फैक्ट्री खोली। लेकिन इसमें उन्हें घाटा हुआ और वह कर्ज में डूब गए। 1998 में उन्होंने रीयल स्टेट के क्षेत्र में कदम रखा और यहां से उनकी किस्मत बदलना शुरू हो गई। जल्द ही उन्होंने MDLR के नाम से अपनी एयरलाइंस खोल ली और राजनीति के क्षेत्र में भी उनकी हैसियत बढ़ती चली गई।

राजनीतिक सफर

2009 में कांग्रेस की सरकार बनाने में निभाई अहम भूमिका

2009 हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांडा पहली चुनावी मैदान में उतरे और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस 40 सीटों पर रह गई थी। तब कांडा ने कांग्रेस के लिए वही भूमिका अदा की जो इस बार उन्होंने भाजपा के लिए की है। इसके बाद बनी हरियाणा सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया।

विवाद

गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में आया नाम

2012 में कांडा का नाम तब सुर्खियों में छा गया जब उनकी एयरलाइंस में एयर होस्टेस के तौर पर काम करने वाली गीतिका शर्मा ने आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड पत्र में गीतिका ने कांडा पर शोषण का आरोप लगाते हुए उन्हें अपनी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार बताया था। गीतिका की आत्महत्या के बाद उनकी मां ने भी आत्महत्या कर ली थी और उन्होंने भी अपने सुसाइड नोट में कांडा का नाम लिया था।

गीतिका शर्मा केस

गीतिका शर्मा केस में भाजपा का कांडा के खिलाफ प्रदर्शन

इस समय भाजपा ने कांडा पर जमकर निशाना साधा था और उनके खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। मामले में कांडा पर रेप, आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश रचने जैसे आरोपों के तहत मामला चलाया गया था। उन्होंने हुड्डा सरकार से भी इस्तीफा दे दिया था। मामले में वह 18 महीने जेल में रहे। मार्च 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन पर लगे रेप के आरोप हटाते हुए उन्हें जमानत दे दी थी।

अन्य आरोप

कांडा पर ये आरोप भी लगे

जेल से बाहर आने के बाद कांडा ने अपने भाई गोविंद के साथ हरियाणा लोकहित पार्टी का गठन किया। पार्टी ने इसी साल हुआ विधानसभा चुनाव भी लड़ा। पिछले पांच सालों में उन पर जमीन पर अवैध निर्माण, टैक्स चोरी, धोखाधड़ी और चेक बाउंस से संंबंधित केस भी दर्ज हुए। लेकिन हरियाणा के इस बार के नतीजे ने उनकी किस्मत को फिर से बदल दिया है और कभी उनका विरोध करने वाली भाजपा के लिए वह अहम हो गए हैं।