अब चुनाव से पहले नेताओं को टेलीविजन, अखबारों में देनी होगी उनके आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी
क्या है खबर?
सफेदपोश नेता अब लोगों से अपने 'दाग' नहीं छिपा सकेंगे।
अब नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ते समय अपने खिलाफ चल रहे सभी आपराधिक मामलों की जानकारी टेलीविजन और अखबारों में विज्ञापन के माध्यम से देनी होगी।
साथ ही ऐसे नेताओं को टिकट देने वाली पार्टियों को भी दागी नेताओं के बारे में अपनी वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी देनी होगी।
चुनाव आयोग ने इस बारे में सभी राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेजा है।
निर्देश
क्या था सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
राजनीति से अपराधियों को दूर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिशानिर्देश दिए थे।
कोर्ट ने कहा था कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार चुनाव आयोग के हलफनामे में अपने आपराधिक रिकॉर्ड का ब्यौरा बड़े और साफ अक्षरों में दें।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि हर उम्मीदवार को अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी तीन बार अखबारों और टेलीविजन पर देनी होगी।
कोर्ट ने इसके लिए आयोग से नया फॉर्मेट तैयार करने को कहा था।
नियम
निर्वाचन अधिकारी को दिखाने होंगे विज्ञापन वाले अखबार
अभी तक उम्मीदवारों को नामांकन के समय चुनाव आयोग में शपथ पत्र देना होता था।
नए नियमों के बाद उम्मीदवार को शपथ पत्र देने के अलावा सार्वजनिक तौर पर खुद के खिलाफ चल रहे मामलों की जानकारी देनी होगी।
उम्मीदवार को नामांकन के समय फॉर्म C में ये सारी बातें बतानी होंगी।
साथ ही जिला निर्वाचन अधिकारी के पास भी उन अखबारों की प्रतियां जमा करनी होंगी, जिनमें उनकी आपराधिक जानकारी वाले विज्ञापन छपे हों।
तरीका
ऐसे देने होगी जानकारी
आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को अपने खिलाफ मामलों की जानकारी तीन अलग-अलग दिन पर, उस इलाके में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार में देनी होगी।
ये विज्ञापन नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख से दो दिन पहले तक बड़े अक्षरों में छपने जरूरी होंगे।
वहीं टेलीविजन पर भी अलग-अलग तीन दिनों पर आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होगी।
दागी नेता
देश में दागी नेताओं के खिलाफ कुल 4,122 आपराधिक मुकदमे
सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, देशभर में दागी नेताओं के खिलाफ अलग-अलग अदालतों में 4,122 आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं।
इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए सेशन और मजिस्ट्रेट कोर्ट बनाने के आदेश दिए हैं।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) के मुताबिक 2014 में लोकसभा में चुन कर आए 542 सांसदों में से 185 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।