अयोध्या भूमि विवाद: विवादित स्थल पर बनेगा राम मंदिर, मस्जिद के लिए मिलेगी अलग जमीन
अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने कहा कि विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को दी जाएगी। वहीं मस्जिद के लिए केंद्र या राज्य सरकार खास जगह पर पांच एकड़ की जमीन देगी। कोर्ट ने कहा कि तीन महीने में केंद्र सरकार योजना बनाकर ट्रस्ट का गठन करेगी। संवैधानिक बेंच ने एकमत से यह फैसला दिया है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है।
कोर्ट ने फैसला पढ़ते क्या-क्या कहा?
CJI ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बेंच ने कहा कि इस मामले का फैसला सिर्फ ASI के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता। जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए। बेंच ने यह भी कहा कि जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।
कोर्ट ने फैसले में कही ये बातें
सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अखाड़े का दावा लिमिटेशन से बाहर है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। बेंच ने कहा कि हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, निर्विवाद है।
संवैधानिक बेंच ने की थी सुनवाई
अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने की थी। इस बेंच में CJI गोगोई के अलावा न्यायधीश एसए बोबड़े, न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायधीश अशोक भूषण और न्यायधीश एसए नजीर शामिल थे।
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हिंदू महासभा ने बताया ऐतिहासिक फैसला
फैसले के बाद प्रतिक्रिया देते हुए हिंदू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है और सुप्रीम कोर्ट ने विविधता में एकता का संदेश दिया है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड की प्रतिक्रिया
क्या था अयोध्या भूमि विवाद?
अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 को विवादित स्थल पर खड़ी बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था और मुख्य विवाद इससे संबंधित 2.77 एकड़ जमीन को लेकर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में दिए अपने फैसले में विवादित भूमि को निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश और रामलला विराजमान के बीच तीन हिस्सों में बांट दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आज सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है।
फैसले से संतुष्ट नहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड
फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वो इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, "हम इस फैसला का स्वागत करते हैं, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं है। हम आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे।"