
संसद मानसून सत्र: जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की तैयारी शुरू, स्पीकर को सौंपा गया ज्ञापन
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सोमवार (21 जुलाई) से शुरू हुए संसद के मानसून संत्र में घर में बेहिसाब नकदी मिलने के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसको लेकर भाजपा, तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जैसे विपक्षी दलों के 145 सांसदों ने हस्ताक्षर किए और अध्यक्ष ओम बिरला को ज्ञापन सौंपा। इसी तरह राज्यसभा में 54 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं।
हस्ताक्षर
इन नेताओं ने किए ज्ञापन पर हस्ताक्षर
महभियोग प्रस्ताव लाने की मांग वाले ज्ञापन पर भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रसाद रूडी, पीपी चौधरी, शरद पवार वाली NCP की सुप्रिया सुले, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, वेणुगोपाल राय और के सुरेश जैसे नेताओं ने हस्ताक्षर किए। महाभियोग प्रस्ताव लाने वाला ज्ञापन राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को भी सौंपा गया। इससे स्पष्ट हो गया है कि अब जल्द ही जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
कारण
सरकार क्यों ला रही है माभियोग प्रस्ताव?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट CJI को सौंपी थी और वर्मा दोषी ठहराते हुए इस्तीफे का विकल्प दिया था। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। ऐसे में सरकार ने महाभियोग का निर्णय किया था।
महाभियोग
क्या होता है महाभियोग?
महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके जरिए संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को पद से हटाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के जज के महाभियोग की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 124(4) में है। अनुच्छेद 124(4) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट जज को संसद द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से हटाया जा सकता है। हाई कोर्ट जज के संबंध में भी यही प्रावधान लागू होते हैं। महाभियोग तब लाया जाता है, जब संबंधित व्यक्ति दुराचार, संविधान उल्लंघन या अक्षमता का दोषी पाया जाएं।
रोचक
महाभियोग के जरिए हटाने वाले पहले जज बन सकते हैं वर्मा
भारत में अब तक किसी भी जज को महाभियोग के जरिए पद से हटाया नहीं गया है। अगर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाया जाता है और सारी प्रक्रिया पूरी होता है, तो वो इसके जरिए पद से हटने वाले पहले जज बन जाएंगे। स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी कार्यरत हाई कोर्ट के न्यायाधीश के महाभियोग की जांच अब संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत संसद के दोनों सदनों द्वारा की जाएगी।
याचिका
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका
इधर, जस्टिस वर्मा ने मामले की जांच करने वाली समिति के निष्कर्षों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया कि जांच समिति की कार्यवाही ने एक व्यक्ति और एक संवैधानिक पदाधिकारी, दोनों के रूप में उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। ऐसे में समिति की सिफारिश को रद्द करने के साथ पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना द्वारा की सिफारिश को भी रद्द किया जाना चाहिए।
प्रकरण
क्या है नकदी मिलने का मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय वर्मा शहर में नहीं थे। उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी। इसकी जानकारी तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया। इसके बाद जांच समिति गठित हुई थी।