
सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त IAS पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत दी, कहा- क्या उसने हत्या की?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र कैडर की बर्खास्त IAS अधिकारी पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देते हुए गिरफ्तारी से राहत दे दी।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने जमानत देते हुए कहा कि क्या उसने किसी की हत्या की है?
कोर्ट ने खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया हैं।
दिल्ली पुलिस के वकील ने जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए खेडकर की जमानत का कड़ा विरोध किया था।
सुनवाई
कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक तौर पर कहा, "उसने कौन सा गंभीर अपराध किया है? वह कोई ड्रग माफिया या आतंकवादी नहीं। उसने 302 (हत्या) नहीं की है। वह NDPS अपराधी नहीं। आपके पास सिस्टम या सॉफ्टवेयर होना चाहिए। जांच पूरी करें। उसने सब कुछ खो दिया है और उसे कहीं नौकरी नहीं मिलेगी।"
कोर्ट ने कहा, "मामले के तथ्यों-परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यह एक उपयुक्त मामला है, जहां दिल्ली हाई कोर्ट को जमानत देनी चाहिए थी।"
विवाद
क्या है मामला?
खेडकर सहायक कलेक्टर के पद पर तैनाती मिलते ही अपनी विशेष मांगों को लेकर विवादों में घिरी थीं।
इसके बाद उन पर विकलांग और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी पाने का आरोप लगा।
जांच के बाद UPSC ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर भविष्य में परीक्षा देने पर रोक लगा दी। साथ ही FIR भी दर्ज कराई।
दिल्ली की निचली कोर्ट और हाई कोर्ट में उनकी अग्रिम जमानत नामंजूर होने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं।
साजिश
दिल्ली हाई कोर्ट ने जताया था साजिश का अंदेशा
दिसंबर 2024 में हाई कोर्ट ने सुनवाई में कहा था कि प्रथम दृष्यटा खेडकर का इरादा UPSC को धोखा देना था।
कोर्ट ने कहा कि खेडकर के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप न केवल एक प्राधिकरण, बल्कि देश के साथ धोखाधड़ी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
कोर्ट ने संकेत दिया कि खेडकर के परिवार ने प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए अज्ञात शक्तिशाली व्यक्तियों के साथ मिलीभगत की हो।
कोर्ट ने साजिश का अंदेशा जताते हुए जांच को जरूरी बताया था।
पहचान
कौन हैं पूजा खेडकर?
महाराष्ट्र की पूजा खेडकर वर्ष 2022 की IAS अधिकारी हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में उन्होंने अखिल भारतीय रैंक 841 हासिल की थी।
खेडकर की मां अहमदनगर के भालगांव की निर्वाचित सरपंच हैं। उनके पिता और दादा सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं।
उन्हें पुणे में सहायक कलेक्टर के तौर पर पहली नियुक्ति मिली थी। वह अपनी सराकारी अवैध मांगों और शौक को लेकर चर्चा में आई थीं।
उनके पिता जिलाधिकारी पर उनकी बेटी को सुविधाएं देने का दबाव बनाते थे।