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केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का 101 साल की आयु में निधन, जानिए शख्सियत
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का 101 साल की आयु में निधन

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का 101 साल की आयु में निधन, जानिए शख्सियत

लेखन गजेंद्र
Jul 21, 2025
04:29 pm

क्या है खबर?

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) के वरिष्ठ नेता वेलिक्ककाथु शंकरन अच्युतानंदन का सोमवार शाम को निधन हो गया। उन्होंने तिरुवनन्तपुरम के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 101 वर्ष के थे। केरल की राजनीति में कई दशक तक प्रभावशाली भूमिका निभाने वाले अच्युतानंदन को 'कॉमरेड वीएस' के नाम से पुकारा जाता था। उन्हें एक महीने पहले दिल का दौरा पड़ा था।

निधन

2019 से सार्वजनिक जीवन से दूर थे वीएस

केरल में एक ताकतवर मुख्यमंत्री और पार्टी में काफी सख्त माने जाने वाले वीएस 2019 में स्ट्रोक आने के बाद सार्वजनिक जीवन से दूर थे। जून में जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तभी से वे तिरुवनन्तपुरम में अपने बेटे वी अरुण कुमार के आवास पर रह रहे थे। पिछले कुछ दिनों से उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था।

पहचान

2006 से 2011 तक रहे थे केरल के मुख्यमंत्री

कॉमरेड वीएस का जन्म 20 अक्टूबर, 1923 को अलप्पुझा जिले के पुन्नपरा गांव में हुआ था। उनकी मां अक्कमा का निधन चेचक से हो गया था। उस समय वीएस 4 साल के थे। जब वीएस 11 साल के थे, तब उनके पिता शंकरन का देहांत हो गया था। वीएस पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में थे, लेकिन 1694 में 32 नेताओं के साथ पार्टी छोड़कर CPIM का गठन किया था। वीएस 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे थे।

गरीबी

16 साल की उम्र में आजादी के आंदोलन से जुड़े 

वीएस ने कक्षा 7 तक पढ़ाई की थी। इसके बाद वे अपने भाई गंगाधरन की सिलाई की दुकान पर काम करने लगे थे। वे अक्सर मजाक में कहते थे कि वे मंदिर के तालाब में तब तक डुबकी लगाते थे, जब तक उनके कपड़े सीढ़ियों पर सूख न जाएं। मंदिर के पुजारी उन्हें पूजा के बचे हुए चावल खिलाते थे। वीएस 16 साल की उम्र में अग्रणी कम्युनिस्ट नेता पी कृष्ण पिल्लई के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए थे।

जीवन

ट्रेड यूनियन से शुरू की थी केरल की राजनीति

वीएस 1938 में स्टेट कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन 1940 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में आ गए। उन्होंने ट्रेड यूनियन गतिविधियों से अपनी राजनीति शुरू की और कई बार जेल गए। वर्ष 1957 में वे CPI के राज्य सचिवालय के सदस्य बने। इसके बाद CPIM से अंबालापुझा विधानसभा सीट का चुनाव लड़ा और 1967 और 1970 में जीते थे। 1980 से 1992 तक वे CPIM केरल राज्य सचिव रहे। 1985 में वे पोलित ब्यूरो में शामिल हो गए।

सफर

कैसा रहा वीएस का राजनीतिक सफर

वीएस 1967, 1970, 1991, 2001, 2006, 2011, 2016 में कुल 7 बार केरल से विधायक चुने गए थे, जिसमें 1991-1996, 2001-2006 और 2011-2016 में विपक्ष के नेता रहे थे। 2006 में वीएस ने मलमपुझा सीट से 20,017 वोटों के अंतर से जीत हासिल की 82 वर्ष की उम्र में केरल के सबसे उम्रदराज 11वें मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने 93 साल की उम्र में मलमपुझा से फिर चुनाव जीता था, लेकिन तब पार्टी ने पिनरई विजयन को मुख्यमंत्री बनाया था।

यादें

चमत्कारिक भाषण देने वाले नेता थे वीएस

वीएस वंचितों और कठिन सार्वजनिक मुद्दों को उठाने वाले नेता थे। वे पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता, आर्द्रभूमि संरक्षण, नर्सों के लिए बेहतर वेतन, ट्रांसजेंडर अधिकार और मुफ्त सॉफ्टवेयर जैसे मुद्दों का समर्थन करते थे। वे चमत्कारिक भाषण देते थे, जिसमें अनूठा देसी अंदाज और तीखे व्यंग्य की झलक मिलती थी। वे भीड़ को आकर्षित करते थे। अच्युतानंदन अपने पीछे पत्नी के. वसुमति और उनके 2 बच्चे, बेटी वीवी आशा और बेटा वीए अरुण कुमार और पोते-पोतियों को छोड़ गए हैं।