पाकिस्तान की तरफ जाने वाला पानी रोकेगा भारत, प्रक्रिया शुरू
क्या है खबर?
भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर को लेकर जारी तनाव के बीच जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का अहम बयान सामने आया है।
शेखावत ने कहा कि केंद्र ने सिंधु जल संधि में किसी प्रकार की छेड़छाड़ किए बिना पाकिस्तान की तरफ जाने वाले पानी को रोकने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बता दें, इस साल फरवरी में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी पाकिस्तान की तरफ बहने वाले पानी को रोकने की बात कही थी।
बयान
सिंधु जल संधि से नहीं होगी छेड़छाड़- शेखावत
शेखावत ने कहा, "अगर आप हमारी प्राथमिकताओं की बात कर रहे हैं तो हमने इस पर काम शुरू कर दिया है कि पाकिस्तान की तरफ बहने वाले पानी को कैसे रोका जाए। मैं पाकिस्तान की तरफ जाने वाले पानी की बात कर रहा हूं ना कि सिंधु जल संधि तोड़ने की।"
इससे पहले पाक ने कहा था कि भारत ने अपने बांधों से पानी छोड़ने से पहले उसे सूचित नहीं किया। इससे पाक में बाढ़ आने का खतरा है।
मामला
भारत ने छोड़ा पानी
भारत के उत्तरी इलाकों में भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया था।
भारत ने इस पानी को बांधों में रोका था। यहां जलस्तर बढ़ने के बाद पानी को छोड़ दिया गया था।
हर बार पानी छोड़ने से पहले भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान को इसकी सूचना देता है, लेकिन इस बार जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ा हुआ है।
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि ऐसे पानी छोड़ना संधि का उल्लंघन है।
मामला
भारत ने छोड़ा 2.40 लाख क्यूसेक पानी
शेखावत ने कहा कि भारत के जलाशय पूरी तरह भरे हुए हैं, लेकिन पाकिस्तान की तरफ बहने वाले पानी को रावी में छोड़ा जा सकता है, जिसका सूखे के समय इस्तेमाल किया जा सकता है।
बता दें, भारत ने लगभग ने सतलुज में लगभग दो लाख 40 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा है।
इससे पाकिस्तान के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने इन इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है।
प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने दी यह प्रतिक्रिया
भारत द्वारा सतलुज में पानी छोड़ने के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान की वाटर एंड पावर अथॉरिटी के प्रमुख मुजाम्मिल हुसैन ने कहा, "वो हमें राजनयिक तौर पर अलग-थलग करना चाहते है। वो हमारी अर्थव्यवस्था को बिगाड़ना चाहते हैं। वो हमारे जलस्त्रोतों को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं और पानी का हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी खेती और हमारी सिंचाई पर असर होगा।"
उन्होंने कहा कि भारत पांचवी पीढ़ी का युद्ध छेड़ रहा है।
सिंधु जल संधि
क्या है सिंधु जल संधि?
भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति आयूब खान के बीच 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संधि हुई थी।
संधि के तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतजल, व्यास) पर भारत का अधिकार है, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है।
नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल भारत सिंचाई और अन्य सीमित कार्यों के लिए कर सकता है।