भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हो रही बातचीत, सिंधु जल संधि पर वार्ता आज
पिछले महीने नियंत्रण रेखा (LoC) और दूसरे इलाकों में सीजफायर पर सहमत होने के बाद अब एक बार फिर भारत और पाकिस्तान बातचीत की मेज पर होंगे। इस बार मौका सिंधु जल संधि पर होने वाली सिंधु आयोग की आयुक्तों की सालाना बैठक का होगा। यह बैठक हर साल होती थी, लेकिन पुलवामा हमले के बाद भारत ने इसे बंद कर दिया था। आखिरी बार यह बैठक 2018 में लाहौर में हुई थी।
क्या है सिंधु जल संधि?
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति आयूब खान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि हुई थी। इसके तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतलज, व्यास) पर भारत का अधिकार है, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है। नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल भारत सिंचाई और अन्य सीमित कार्यों के लिए कर सकता है।
भारत के इन प्रोजेक्ट्स पर आपत्ति जता सकता है पाकिस्तान
23-24 मार्च को नई दिल्ली में होने वाली इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए सात सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंच चुका है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बैठक में पाकिस्तान भारत के पकल डल और लॉवर कलनाई प्रोजेक्ट पर आपत्ति दर्ज करा सकता है। भारत चिनाब की सहयोगी मरुसुदर नदी पर 1,000 मेगावॉट का पकल डल जल विद्युत प्रोजेक्ट बना रहा है। यह जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में है, जबकि दूसरा प्रोजेक्ट चिनाब पर है।
बातचीत के जरिये समाधान निकालने की होगी कोशिश
सिंधु आयुक्त प्रदीप कुमार सक्सेना भारतीय प्रतिनिधमंडल का नेतृत्व करेंगे, वहीं पाकिस्तान की तरफ से उनके समकक्ष सैयद मुहम्मद मेहर अली अपना पक्ष रखेंगे। सक्सेना ने बताया था, "हम संधि के तहत भारत को मिले अधिकारों का पूरा इस्तेमाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और बातचीत के जरिये मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने में भरोसा करते हैं।" सीजफायर पर सहमत होने के बाद इस बैठक को दोनों देशों के बीच सकारात्मक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
पिछली बैठक में उठा था दोनों प्रोजेक्ट का मुद्दा
आयोग की आखिरी बैठक 29-30 अगस्त, 2018 को लाहौर में हुई थी। उस वक्त भी पकल डल और कलनाई प्रोजेक्ट पर बातचीत हुई थी। बैठक के बाद पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त ने जनवरी, 2019 में पकल डल, लॉवर कलनाई, रेटल और और दूसरे जल-विद्युत प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया था। बता दें कि इस संधि में दोनों देशों के बीच बातचीत करने और साइट के मुआयना आदि का प्रावधान भी किया गया है।
महामारी के कारण रद्द हुई थी पिछले साल की बैठक
दोनों देशों के सिंधु आयोगों के बीच पिछले साल मार्च में बैठक प्रस्तावित थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के चलते इसे रद्द करना पड़ा। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन पाकिस्तान इस पर सहमत न होकर अटारी चेक-पोस्ट पर बैठक करना चाहता था। हालांकि, भारत ने महामारी के चलते बने हालातों का हवाला देकर पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था।
पिछले महीने बनी थी सीजफायर पर सहमति
भारत और पाकिस्तान पिछले नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी बंद करने को राजी हुए थे। दोनों देशों के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों (DGMO) के बीच हॉटलाइन पर हुई बातचीत में यह सहमति बनी। बातचीत में दोनों पक्ष 2003 के सीजफायर समझौते समेत अन्य सभी समझौतों को कड़ाई से लागू करने को राजी हुए और इसी के तहत जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में गोलीबारी को रोका जाएगा। यह सहमति 24-25 फरवरी की रात से लागू हो चुकी है।