क्या EVM पर होगी उम्मीदवार की फोटो और योग्यता? सुप्रीम कोर्ट ने मांगी राय
क्या है खबर?
देश में आने वाले वाले समय में चुनावों के दौरान मतदान के लिए काम ली जानी वाले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर पार्टी के चुनाव चिह्न की जगह उम्मीदवार का नाम, फोटो और उसकी योग्यता नजर आ सकती है।
भाजपा नेता की ओर से इस संबंध में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किए बिना अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल से मामले पर राय मांगी है।
प्रकरण
भाजपा नेता ने की थी EVM से चुनाव चिह्न हटाने की मांग
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर EVM से पार्टियों के चिह्न हटाने और उनके स्थान पर प्रत्याशियों के नाम, उम्र, योग्यता और तस्वीर का इस्तेमाल करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की थी।
उन्होंने EVM में चुनाव चिह्न के इस्तेमाल को गैरकानूनी, असंवैधानिक और संविधान का उल्लंघन करने वाला घोषित किए जाने की भी मांग की थी।
तर्क
याचिकाकर्ता ने मामले में यह दिया है तर्क
याचिकाकर्ता उपाध्याय ने याचिका में तर्क दिया है कि राजनीति को भ्रष्टाचार और अपराधीकरण से मुक्त कराने की दिशा में EVM से पार्टियों के चिह्न हटाना सबसे बेहतर प्रयास होगा।
उन्होंने कहा कि चुनाव चिह्न के बिना मतदाताओं को ईमानदार और योग्य प्रत्याशियों का चयन करने में मदद मिलेगी।
इसी तरह टिकट वितरण में राजनीतिक दलों के हाईकमान की तानाशाही पर अंकुश लगेगा और वे जनता की भलाई के लिए ईमानदारी उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए बाध्य होंगे।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल से मांगी राय
मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करने से तो इनकार कर दिया, लेकिन अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अपनी राय देने को कहा है।
CJI ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास सिंह को याचिका की एक-एक कॉपी अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल को भी देने के निर्देश दिए।
सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की वकील से पूछे कई सवाल
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अधिकवक्ता सिंह से पूछा कि EVM पर चुनाव चिह्न होने से क्या आपत्तियां हैं।
इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
उन्होंने कहा कि चुनाव चिह्न हटाए जाने से उम्मीदवार की योग्यता का पता चल सकेगा। ब्राजील में भी चुनाव के दौरान उम्मीदवार को केवल नंबर दिया जाता है, वहां मतदान के लिए कोई चुनाव चिह्न नहीं होता है।
पृष्ठभूमि
देश के 43 प्रतिशत सांसदों के खिलाफ दर्ज हैं आपराधिक मामले
बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश में 539 सांसदों में से 43 प्रतिशत यानी 233 सांसदों ने अपने शपथ पत्रों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने का उल्लेख किया है।
इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनाव में 542 सांसदों में से 34 प्रतिशत यानी 185 और 2009 के लोकसभा चुनाव में 543 में से 30 प्रतिशत यानी 162 सांसदों ने खुद के खिलाफ अपराधिक मामलों की पुष्टि की थी।