चुनाव से पहले जानें, हरियाणा की राजनीति के 'दंगल' में कैसा रहा है मुख्यमंत्रियों का सफर

देश की राजधानी दिल्ली को तीन तरफ से घेरने वाला हरियाणा अगले हफ्ते अपनी नई सरकार चुनेगा। राज्य में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनावों के लिए वोट डाले जाएंगे। 1966 में अलग राज्य बनने के बाद हरियाणा अब तक 10 मुख्यमंत्री देख चुका है। भगवत दयाल शर्मा से लेकर मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर राज किया है। आइये, हरियाणा के अब तक के मुख्यमंत्री, उनके कार्यकाल और पिछले चुनावों के हिसाब जानते हैं।
आजादी के समय पंजाब का हिस्सा रहा हरियाणा 1 नवंबर, 1966 को अस्तित्व में आया। कांग्रेस के भगवत दयाल शर्मा राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। वो 1 नवम्बर, 1966 से 23 मार्च, 1967 तक 143 दिनों के लिए इस कुर्सी पर रहे। उनके बाद मौजूदा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेंद्र सिंह ने कुर्सी संभाली। वो 24 मार्च से 2 नवम्बर, 1967 तक मुख्यमंत्री रहे। विशाल हरियाणा पार्टी के बीरेंद्र सिंह हरियाणा के पहले विधानसभा स्पीकर थे।
बीरेंद्र सिंह के कार्यकाल के बाद हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। लगभग छह महीने बाद इंदिरा गांधी के करीबी रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता बंसीलाल राज्य के मुख्यमंत्री बने। तोशाम से चुनाव जीतने वाले बंसीलाल ने 22 मई, 1968 को कुर्सी संभाली और वो 30 नवम्बर, 1975 तक इस पद पर रहे। बंसीलाल के बाद बनारसी दास गुप्ता मुख्यमंत्री बने। भिवानी से कांग्रेस के विधायक गुप्ता 1 दिसंबर, 1975 से 30 अप्रैल, 1977 तक राज्य के मुखिया रहे।
30 अप्रैल, 1977 को हरियाणा में लगभग दो महीने के लिए फिर से राष्ट्रपति शासन लगा। उसके बाद हुए चुनावों में देवीलाल राज्य के मुख्यमंत्री बने। वो आगे चलकर देश के उप प्रधानमंत्री भी रहे। 'लोकराज हमेशा लोकलाज से चलता है' का नारा देने वाले देवीलाल ने पहली बार 21 जून, 1977 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 1952 में कांग्रेस के टिकट पर पंजाब विधानसभा पहुंचने वाले देवीलाल ने यह चुनाव बतौर जनता पार्टी उम्मीदवार लड़ा था।
देवीलाल के बाद हरियाणा की राजनीति के पीएचडी कहलाने वाले भजनलाल सूबे की कमान अपने हाथ में लेते हैं। कांग्रेस के टिकट पर आदमपुर से विधानसभा चुनाव जीतने वाले भजनलाल 28 जून, 1979 से लेकर 4 जून, 1986 तक मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद फिर से बंसीलाल मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते हैं। 5 जून, 1986 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले बंसीलाल 20 जून, 1987 यानी लगभग एक साल तक इस पद पर रहे।
यहां से हरियाणा की राजनीति में ऐसा दौर शुरू हुआ, जब पहले मुख्यमंत्री बन चुके नेता फिर से इस कुर्सी पर काबिज होने लगे। बंसीलाल के बाद देवीलाल 20 जून, 1987 से 2 दिसंबर, 1989 तक इस पद पर रहे। इसी साल हुए आम चुनावों के नतीजे आने के बाद देवीलाल को संसदीय दल का नेता चुना गया था। कहा जाता है कि वो चाहते तो प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने वीपी सिंह का नाम आगे कर दिया।
देवीलाल के इस पद से हटने के बाद उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने। वो 2 दिसंबर, 1989 से 23 मई, 1990 तक इस कुर्सी पर रहे। चौटाला के बाद बनारसी दास गुप्ता फिर से 45 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने। गुप्ता की जगह फिर से चौटाला ने ले ली और इस बार वो महज छह दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। चौटाला दूसरी बार 12 जुलाई, 1990 से लेकर 17 जुलाई, 1990 तक इस पद पर रहे।
चौटाला के जाने के बाद हुक्म सिंह इस पद पर आए। वो 17 जुलाई, 1990 से लेकर 22 मार्च, 1991 तक मुख्यमंत्री रहे। सिंह के बाद फिर से चौटाला इस पद पर आते हैं और इस बार फिर से महज 15 दिन के लिए। लगातार मुख्यमंत्रियों की बदलने की इन घटनाओं के बाद राज्य में इसके गठन के बाद तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया। हरियाणा में 6 अप्रैल, 1991 से लेकर 23 जून, 1991 तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।
राष्ट्रपति शासन हटने के बाद कांग्रेस के भजनलाल फिर से मुख्यमंत्री बने। 26, जून 1991 को दूसरी बार मुख्यमंत्री रहे भजनलाल ने पांच साल तक सरकार चलाई। उनके बाद बंसीलाल फिर से 11 मई, 1996 को मुख्यमंत्री बने और 24 जुलाई, 1999 तक कुर्सी पर रहे। उनके बाद फिर से एक बार औम प्रकाश चौटाला सूबे के मुखिया बने। 24 जुलाई, 1999 को शपथ लेने वाले चौटाला मार्च, 2005 तक मुख्यमंत्री रहे।
साल 2005 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बड़ी वापसी करते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल किया। मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे भजनलाल को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया। 5 मार्च, 2005 को शपथ लेने वाले हुड्डा 19 अक्टूबर, 2014 तक लगातार दो बार इस पद पर रहे। 2014 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया और मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में राज्य में पहली बार सरकार बनाई।