असम NRC: सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने बढ़ाई डेडलाइन, केंद्र सरकार ने की थी अपील
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की अंतिम सूची को प्रकाशित करने की डेडलाइन को एक महीने बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया है।
पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 31 जुलाई की डेडलाइन को बढ़ाने का अनुरोध किया था।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश से सटे जिलों में NRC में शामिल किए गए 20 प्रतिशत नामों के फिर से सत्यापन की मांग को ठुकरा दिया।
दलील
सरकार की दलील, स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से शामिल हुए गलत लोगों के नाम
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि बांग्लादेश से सटे जिलों में केवल 7.7 प्रतिशत अवैध आप्रवासी पाए गए, जबकि पूरे राज्य में इसका औसत 12.7 प्रतिशत था।
उन्होंने कहा था कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से कई अवैध आप्रवासियों NRC में अपना नाम शामिल करवाने में कामयाब रहे और इसलिए केंद्र और राज्य सरकार NRC सूची के 20 प्रतिशत सैंपल का दोबारा सत्यापन चाहती है।
अपील खारिज
कोर्ट ने कहा, पहले ही हो चुका है 27 प्रतिशत सैंपल का सत्यापन
इस याचिका को खारिज करते हुए दो सदस्यीय बेंच की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, "NRC के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की रिपोर्ट बताती है कि नए दावों और आपत्तियों पर न्यायिक निर्णय की प्रक्रिया के दौरान ही 27 प्रतिशत सैंपल का सत्यापन हो चुका है।"
उन्होंने कहा कि जितने सैंपल के सत्यापन की मांग केंद्र सरकार कर रही है, उससे अधिक का सत्यापन पहले ही हो चुका है।
अवैध घुसपैठ
सरकार ने कहा था, भारत दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं बन सकता
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट से असम NRC की डेडलाइन बढ़ाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि भारत दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं बन सकता।
सरकार ने कहा था कि NRC मसौदे में गलती से शामिल हुए लाखों लोगों के नाम हटाने की जरूरत है और इसके लिए और वक्त चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में ये दलील रखी थी।
जानकारी
क्या है असम NRC का मुद्दा?
असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बढ़ते विवाद को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने असम में NRC को अपडेट करने का आदेश दिया था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था और ये असम के निवासी होने का सर्टिफिकेट है।
समस्या
पहले मसौदे में 41 लाख लोगों का नाम नहीं था शामिल
पिछले साल आए NRC के पहले मसौदे में 3.23 आवेदकों में से 40 लाख इससे बाहर रहे थे।
बाद में 1 और लाख आवेदकों को इससे बाहर कर दिया गया।
इस बीच अन्य 2 लाख लोगों के नाम NRC में शामिल किए जाने के खिलाफ भी आपत्ति दर्ज कराई गई है।
वहीं, बाहर किए गए आवेदकों में से 36 लाख ने भी असम का नागरिक होने का दावा किया है और उनमें से कई सूची में शामिल हो सकते हैं।