प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी घोषणा, कहा- सरकार मुफ्त राशन योजना को 5 साल तक और बढ़ाएगी
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भाजपा सरकार ने मुफ्त राशन योजना को अगले 5 साल तक जारी रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों का आशीर्वाद और प्यार उन्हें पवित्र निर्णय लेने की ताकत देता है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ये घोषणा की है।
क्या है प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना?
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देशभर के BPL राशनकार्ड धारकों को प्रति महीने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज (गेंहू और चावल) मुफ्त दिया जाता है। कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के समय मार्च, 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना का ऐलान किया था और ये अप्रैल, 2020 से शुरू हुई , जिसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में विलय करके दिसंबर, 2023 तक बढ़ाया गया था। अब केंद्र सरकार ने योजना की अवधि को और आगे बढ़ा दिया है।
प्रधानमंत्री की बड़ी घोषणा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम क्या है?
कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA-2 सरकार ने 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम बनाया था। ये कानून कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी की देन है। ये स्वतंत्र भारत के इतिहास का पहला ऐसा कानून है, जिसमें भोजन का अधिकार दिया गया है। 2011 की जनगणना के आधार पर देश की 67 फीसदी आबादी (75 फीसदी ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी) को इस कानून के दायरे में लाया गया है।
केंद्र पर 10 लाख करोड़ रुपये का पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
केंद्र सरकार के अनुसार, गरीब कल्याण योजना का लाभ देश के 80 करोड़ BPL कार्ड धारक परिवारों को मिलता है। इस योजना को अब सरकार ने 5 साल आगे बढ़ाने का ऐलान किया है। सरकार एक साल तक सभी लाभार्थी परिवारों को मुफ्त राशन मुहैया कराने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च उठाती है। इस हिसाब से देखा जाए तो योजना के विस्तार के लिए सरकार को 10 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा।
केंद्र की योजना देश में गरीबी रोकने में कामयाब- IMF
पिछले साल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना काफी हद तक गरीबी को रोकने में कामयाब रही। रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के कारण महामारी के दौरान भी देश में अत्यंत गरीबों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई। इससे पहले हुए कुछ अध्ययनों में महामारी के कारण भारत में अत्यंत गरीबी बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई थी।