भारत ने चीन से लगती सीमा पर 50,000 अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया- रिपोर्ट
डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया में गतिरोध के बीच भारत ने चीन से लगती अपनी सीमा पर 50,000 अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं। एक अधिकारी ने ब्लूमबर्ग को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अतिरिक्त तैनाती से भारत को जरूरत पड़ने पर चीन पर हमला करने और जमीन पर कब्जा करने में मदद मिलेगी। जवानों के साथ-साथ उन्हें ट्रांसपोर्ट करने के लिए अतिरिक्त हेलीकॉप्टर्स और M777 तोपें भी भेजी गई हैं। लड़ाकू विमानों के दस्ते पहले से ही चीन सीमा पर तैनात हैं।
फरवरी में शुरूआती डिसइंगेजमेंट के बाद चीन ने की वादाखिलाफी
बता दें कि भारत और चीन में इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के दोनों किनारों, उत्तरी और दक्षिणी, पर सैनिक पीछे हटाने का समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने सेनाएं पीछे हटा भी ली थीं, लेकिन इसके बाद चीन ने वादाखिलाफी करते हुए हॉट स्प्रिंग औऱ गोगरा से सेना हटाने से इनकार कर दिया। इसके अलावा उसने पूर्वी लद्दाख की कई जगहों पर अपनी स्थिति को फिर से मजबूत भी कर लिया है।
चीन ने कई जगहों पर मजबूत की है अपनी स्थिति
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अक्साई चिन के उत्तर में स्थित कांगक्सिवर में स्थायी अड्डे तैयार कर लिए हैं। चीन ने कुछ विवादित इलाकों में पक्के ठिकाने और सैन्य इमारतों का निर्माण भी किया है जिससे दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ सकता है। खुफिया अनुमान के मुताबिक, चीन ने रुडोक और कांगक्सिवर पर पहले से स्थायी तौर पर तैनात 10,000 सैनिकों के अलावा 10,000 अतिरिक्त सैनिकों को अस्थायी तौर पर तैनात किया है।
चीन की हरकत से भारत हुआ सतर्क, सीमा पर दो लाख सैनिक तैनात
चीन की इस चालबाजी से भारत सतर्क हो गया और अब उसने भी अतिरिक्त सैनिक सीमा पर भेज दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अब सीमा पर भारत के लगभग दो लाख सैनिक हो गए हैं। चीन के कितने सैनिक तैनात हैं, इसकी जानकारी नहीं है।
फरवरी में सेनाएं पीछे हटने से पहले 150 मीटर दूर थे दोनों देशों के सैनिक
इस बीच ये जानकारी भी सामने आई है कि फरवरी में पैंगोंग झील के किनारों से सेनाएं पीछे हटने से पहले इलाके में मात्र 150 मीटर की दूरी पर दोनों देशों की पोस्ट थीं। गूगल अर्थ प्रो की सैटेलाइट तस्वीरों से ये बात सामने आई है। ये तस्वीरें दक्षिणी किनारे पर स्थित रेजांग ला इलाके की हैं। एक सैन्य सूत्र ने NDTV को बताया कि कुछ अन्य इलाकों में तो दोनों देशों के बीच इससे भी कम दूरी थी।
50 मीटर की दूरी पर थे दोनों देशों के टैंक
इसके अलावा कैलाश रेंज के इलाकों में तो दोनों देशों के टैकों के बीच मात्र 50 मीटर की दूरी थी। इस समय एक छोटी सी चिंगारी भी युद्ध भी तब्दील हो सकती थी। डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले इन्हीं टैंकों को हटाया गया था।
पिछले साल 5 मई से सीमा पर बरकरार है तनाव
बता दें कि इस 5 मई को भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद को एक साल पूरा हो गया। पैंगोंग झील से शुरू हुआल यह विवाद गलवान घाटी, गोगरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग आदि इलाकों तक फैल गया था। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। तब से दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है।