कोवैक्सिन को WHO और यूरोपीय संघ से मंजूरी दिलाने की कोशिश कर रहा भारत
भारत कोरोना वायरस की पहली स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूरोपीय संघ से मंजूरी दिलाने की कोशिश में जुटा है। भारत की कोशिश है कि बिना किसी देरी के इस वैक्सीन को WHO की तरफ से मंजूरी मिल जाए। इसके लिए विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी उन दस्तावेजों के अध्ययन में जुटे हैं, जो इस मंजूरी के लिए जरूरी होंगे। बता दें, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन को तैयार किया है।
आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल कराने की कोशिश
द हिंदू ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि कोवैक्सिन को WHO की आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल कराने पर काम किया जा रहा है। इस सिलसिले में विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला सोमवार को भारत बायोटेक के अधिकारियों से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, इसकी अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से इस संबंध में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
इन कंपनियों की वैक्सीनों को मिल चुकी मंजूरी
WHO ने फाइजर, एस्ट्राजेनेका, मॉडर्ना और चीनी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसके बाद इन कंपनियों के लिए अपनी वैक्सीन को विदेशों में भेजना आसान हो गया है। इसके अलावा इन कंपनियों की वैक्सीन ले चुके लोगों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा की भी मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन कोवैक्सिन के साथ ऐसा नहीं है। मंजूरी मिले बिना इसका निर्यात और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए इसका मान्य होना काफी मुश्किल है।
इसलिए जरूरी है मंजूरी मिलना
भारत के वैक्सीनेशन अभियान में शुरुआत से ही कोवैक्सिन और कोविशील्ड इस्तेमाल होती आई हैं। अभी तक कई लाख लोगों को कोवैक्सिन की खुराक लग चुकी है। उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए इस वैक्सीन को WHO की मंजूरी मिलना जरूरी है। सूत्रों का कहना है कि WHO के साथ-साथ यूरोपीय संघ से भी कोवैक्सिन को हरी झंडी दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस काम में समय लग सकता है, लेकिन इसके लिए भी तैयारी चल रही है।
मंजूरी मिलने से होंगे ये फायदे
अगर कोवैक्सिन को दोनों जगहों से मंजूरी मिल जाती है तो कंपनी को शोध और सहयोग में सहूलियत होगी। साथ ही लोगों के लिए यात्रा करना आसान हो जाएगा। अभी भारत बायोटेक ने अमेरिका और ब्राजील की कुछ कंपनियों के साथ इस वैक्सीन के उत्पादन और निर्यात के लिए समझौता किया है, लेकिन WHO से मंजूरी न मिल पाने के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई है। इस बाधा को पार करने के लिए सरकार काम कर रही है।
नए स्ट्रेन्स के खिलाफ भी प्रभावी हैं कोवैक्सिन
कोवैक्सिन कोरोना वायरस के डबल म्यूटेंट वेरिएंट के खिलाफ कारगर है और इसे निष्क्रिय करने में सफल रही है। भारत बायोटेक के साथ मिलकर इसे तैयार करने वाले ICMR ने बताया था कि यह वैक्सीन भारत में पाए गए डबल म्यूटेंट वेरिएंट के अलावा अन्य देशों में पाए गए कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स को निष्क्रिय करने में भी सफल रही है। कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय कर बनाई गई यह वैक्सीन संक्रमण के खिलाफ 81 प्रतिशत प्रभावी है।