
उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, कांवड़ मार्ग के भोजनायलों पर सख्ती का जवाब मांगा
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार को नोटिस जारी करते हुए कांवड़ मार्ग पर की जा रही सख्ती को लेकर जवाब मांगा है। सरकार ने कांवड़ मार्गों पर सभी भोजनालयों के लिए खाद्य सुरक्षा कनेक्ट ऐप से जुड़े QR-कोड सक्षम स्टिकर लगाने को अनिवार्य कर दिया है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अगली सुनवाई पर 22 जुलाई तक दोनों राज्य सरकारों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुनवाई
जवाब दाखिल करने के लिए मांगा था 2 हफ्ते का समय
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य के उप-महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए 2 हफ्ते का समय मांगा था। तभी आवेदकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने बताया कि कांवड़ यात्रा समय के लिहाज से संवेदनशील है और यह 12 दिन में समाप्त हो जाएगी। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 22 जुलाई तक स्थगित कर दी है।
आदेश
क्या है उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश?
भाजपा शासित दोनों प्रदेशों ने सावन महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान उसके मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों पर QR कोड लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे मालिकों के नाम, पहचान, पता और मेनू का पता चलेगा। आवेदनकर्ताओं ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि सरकार के निर्देशों को कानून का कोई समर्थन नहीं है और इसका उद्देश्य धार्मिक ध्रुवीकरण और भेदभाव पैदा करना है। आवेदनकर्ताओं ने इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है।
घटना
पिछले साल भी सामने आया था ऐसा मामला
पिछले साल सावन के दौरान भी ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकार ने कांवड़ मार्ग पर आने वाली दुकानों के मालिकों को अपना 'नेमप्लेट' लगाने के आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स सुप्रीम कोर्ट चली गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन बताया और धर्म-जाति के आधार पर भेदभाव बताते हुए चुनौती दी।