#NewsBytesExplainer: नए आपराधिक कानूनों से जुड़े 3 विधेयकों में क्या-क्या बड़े प्रावधान हैं?
आपराधिक कानूनों को बदलने वाले 3 विधेयक 21 दिसंबर को संसद से पारित हो गए। इन्हें भारतीय न्याय संहिता विधेयक (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक (BNSS) और भारतीय साक्ष्य विधेयक (BSB) नाम दिया गया है। ये विधेयक क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इन विधेयकों के कानून बनने के बाद कई बड़े बदलाव होंगे। आइए समझते हैं कि इन विधेयकों में क्या-क्या प्रावधान हैं।
IPC और CrPC की धाराओं में कितना बदलाव
IPC में फिलहाल 511 धाराएं हैं। इसके स्थान पर BNS लागू होने के बाद इसमें 356 धाराएं होंगी। 175 धाराएं बदली जाएंगी और 8 नई धाराएं जोड़ी जाएंगी। BNS में IPC की 22 धाराओं को पूरी तरह खत्म किया गया है। इसी तरह CrPC की जगह लेने वाले BNSS में 533 धाराएं रह जाएंगी। इसके तहत 160 धाराओं में बदलाव होगा, 9 धाराएं नई जुड़ेंगी और 9 धाराओं को पूरी तरह खत्म किया जाएगा।
7 दिन के अंदर दाखिल करनी होगी याचिका
गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, किसी मामले में आरोपी को याचिका दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय मिलेगा। जज को 7 दिन के अंदर सुनवाई करनी होगी और अधिकतम 120 दिनों में मामले की सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान 30 दिन के भीतर सभी दस्तावेज पेश करने होंगे। अगर आरोपी 90 दिन के अंदर कोर्ट में पेश नहीं होता है तो उसकी अनुपस्थिति में भी सुनवाई चलेगी। कोर्ट को अधिकतम 3 साल में फैसला देना होगा।
राजद्रोह की जगह देशद्रोह, प्रावधान और सख्त हुए
विधेयक में राजद्रोह शब्द को हटाकर देशद्रोह किया गया है। धारा 150 के तहत देश के खिलाफ कोई भी कृत्य (लिखित, मौखिक, सांकेतिक या तस्वीर के माध्यम से) किए जाने पर 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा होगी। वर्तमान में राजद्रोह में 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा होती है। इसके अलावा देश की एकता, अखंडता, अक्षुण्णता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाना भी अपराध की श्रेणी में आएगा।
नाबालिग से रेप और मॉब लिंचिंग में होगी फांसी की सजा
विधेयक में रेप और बच्चों के खिलाफ अपराध से जुड़े सख्त प्रावधान किए गए हैं। नाबालिग से रेप के मामले में आजीवन कारावास और मौत की सजा होगी। गैंगरेप के मामले में 20 साल या जिंदा रहने तक की सजा का प्रावधान है। मॉब लिंचिंग से जुड़े अपराधों में भी मौत की सजा का प्रावधान है। अगर 5 या इससे ज्यादा लोग जाति, नस्ल या भाषा आधार पर हत्या करते हैं तो न्यूनतम 7 साल या फांसी की सजा होगी।
पहली बार हुई आतंकवाद की व्याख्या
विधेयकों में आतंकवाद की व्याख्या की गई है। अब आर्थिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाना भी आतंकवादी गतिविधि के अंतर्गत आएगा। तस्करी या नकली नोटों के जरिए वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाना भी आतंकवादी कृत्य होगा। विदेश में भारत की सरकारी संपत्ति को नष्ट करना भी आतंकवादी गतिविधि होगी। शाह ने कहा, "आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी, लेकिन पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है।"
धारा 377 और व्यभिचार से संबंधित प्रावधान हटाए गए
BNS में समलैंगिकता से जुड़ी IPC की धारा 377 को भी हटा दिया गया है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा के एक हिस्से को असंवैधानिक बताया था, जिसके बाद देश में समलैंगिकता अपराध नहीं रही थी। इसी तरह व्याभिचार से जुड़ी धारा 497 को भी नए विधेयक में शामिल नहीं किया गया है। इसके तहत आरोपी को 5 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान था। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी रद्द कर दिया था।
पुलिस की जवाबदेही बढ़ेगी
किसी को गिरफ्तार किए जाने पर पुलिस को परिवार को जानकारी देनी होगी। किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ित को देगी। इसके अलावा FIR दर्ज करने से लेकर केस डायरी, चार्जशीट और फैसले तक की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल होगी। पीड़ित देश में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकता है। E-FIR से जुड़े प्रावधान भी बदले गए हैं। 7 साल से ज्यादा सजा होने पर फोरेंसिक टीम अपराध स्थल की वीडियोग्राफी करेगी।