महुआ मोइत्रा सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, लोकसभा से निष्कासन के फैसले को चुनौती दी
तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा ने पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप में लोकसभा से निष्कासन के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महुआ ने लोकसभा से निष्कासन को गलत ठहराया है। हाल ही में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर महुआ की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। समिति ने जांच के बाद उन्हें लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की थी।
क्या है निष्कासन का मामला?
महुआ पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत लेकर संसद में अडाणी समूह से जुड़े सवाल पूछने का आरोप हैं। इस संबंध में महुआ ने हीरानंदानी को अपना लोकसभा का आईडी-पासवर्ड देने की बात स्वीकारी थी, लेकिन रिश्वत लेने के आरोपों को खारिज किया था। मामले में आचार समिति ने जांच की, जिसने अपनी रिपोर्ट में आरोपों को सही पाते हुए महुआ को निष्कासित करने की सिफारिश की थी। इसी आधार पर महुआ को 8 दिसंबर को निष्कासित किया गया है।
आचार समिति की रिपोर्ट में क्या कहा?
आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महुआ के लोकसभा का अपना आईडी-पासवर्ड हीरानंदानी को देने और रिश्वत के तौर पर उनसे उपहार और नकदी लेने की पुष्टि हुई है। समिति ने कहा कि इस 'गंभीर दुष्कर्म' के लिए महुआ को गंभीर सजा मिलनी चाहिए और उन्हें लोकसभा से निष्कासित किया जाना चाहिए। उसने महुआ के इस आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण को देखते हुए उनके खिलाफ कानूनी, संस्थागत और समयबद्ध जांच कराने की सिफारिश भी की।
महुआ ने समिति की रिपोर्ट पर क्या कहा?
महुआ का आरोप है कि समिति ने हर नियम का उल्लंघन किया है और उन्हें एक ऐसे नैतिक नियम के उल्लंघन के लिए निष्कासित किया गया है, जो है ही नहीं। उन्होंने कहा कि समिति की रिपोर्ट पूरी तरह से 2 ऐसे बाहरी व्यक्तियों के बयानों पर आधारित है, जिनके बयान विरोधाभासी हैं और जिनसे उन्हें जिरह करने का मौका नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इनमें से एक व्यक्ति उनका पूर्व पार्टनर है, जिसने बदनीयती से शिकायत की है।
लोकसभा में रिपोर्ट पेश होने पर क्या हुआ?
8 दिसंबर को समिति अध्यक्ष और भाजपा सांसद विनोद सोनकर के रिपोर्ट पेश करने के बाद इस पर सदन में बहस हुई। कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों इस 400 पेज से अधिक की रिपोर्ट को पढ़ने के लिए 3-4 दिन का समय मांगा। उन्होंने महुआ को उनका पक्ष रखने देने की अनुमति देने की मांग की। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया और निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया।
TMC अध्यक्ष ममता बनर्जी ने निष्कासन पर क्या कहा?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC अध्यक्ष ममता बनर्जी ने महुआ के निष्कासन पर केंद्र सरकार की निंदा की। उन्होंने कहा, "मुझे भाजपा सरकार का रवैया देखकर दुख हो रहा है। उन्होंने महुआ को सदन में अपना पक्ष तक रखने की अनुमति नहीं दी और ये सरासर अन्याय हुआ है।" उन्होंने कहा, "महुआ परिस्थितियों का शिकार हुई हैं। मैं इसकी कड़ी निंदा करती हूं। ये लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। हम INDIA गठबंधन के साथ मिलकर लड़ाई लड़ेंगे।"