97 विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति में लोकसभा से पारित हुए आपराधिक कानूनों से संबंधित 3 विधेयक
क्या है खबर?
97 विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति के बीच आपराधिक कानूनों को बदलने वाले 3 महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा से पारित हो गए हैं।
इनमें भारतीय न्याय संहिता विधेयक (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक (BNSS) और भारतीय साक्ष्य विधेयक (BSB) शामिल हैं।
बता दें कि ये विधेयक क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों को पेश किया।
बयान
शाह ने कहा- कानून गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराएंगे
विधेयक पेश करते हुए गृह मंत्री ने कहा, "इन तीनों कानूनों से गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराया गया है। इसमें न्याय, समानता और निष्पक्षता को समाहित किया गया है। 150 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदलाव किया गया है। ये विधेयक पारित होने के बाद पूरे देश में एक ही प्रकार की न्याय प्रणाली होगी। अगले 100 साल तक जितने तकनीकी बदलाव होंगे, सारे प्रावधान इसमें कर दिए गए हैं।"
प्रावधान
विधेयक में मॉब लिचिंग पर मृत्युदंड का प्रावधान
विधेयक में राजद्रोह कानून खत्म करने का प्रावधान है। हालांकि, विधेयक में राजद्रोह जैसा ही प्रावधान होगा, लेकिन इसे एक नया रंग-रूप और नाम दिया गया है।
BNS में मॉब लिंचिंग का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 7 साल की जेल से लेकर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।
इसके अलावा गैंगरेप के मामले में 20 साल जेल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसमें धारा 377 जैसा कोई प्रावधान नहीं है।
आतंकवाद
कानून में पहली बार होगी आतंकवाद की व्याख्या- शाह
सदन में शाह ने कहा, "आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी, लेकिन पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है। जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए।"
राजद्रोह से जुड़े प्रावधानों पर शाह ने कहा, "राज से मतलब शासन से था, भारत नहीं था। राजकर्ता के खिलाफ बोलने वाले पर पहले राजद्रोह कानून लगता था। हमने अब व्यक्ति की जगह देश को रखा है।"
विधेयक
पहली बार मानसून सत्र में गृह मंत्री ने पेश किए थे तीनों विधेयक
संसद के मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त को गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में इन तीनों विधेयकों को पेश किया था। बाद में इन विधेयकों को संसद की चयन समिति के पास भेजा गया था।
समिति के सिफारिश के बाद पुराने विधेयकों को वापस लिया गया और इनमें कुछ बदलाव करने नए सिरे से नए विधेयक पेश किए गए।
संसद में विपक्षी सांसदों की गैरमौजूदगी में ये विधेयक बिना किसी विरोध के पारित हो गए।
सवाल
विपक्षी सांसदों की गैरमौजदूगी में विधेयकों के पारित किए जाने पर उठे सवाल
ये तीनों महत्वपूर्ण विधेयक ऐसे समय पेश किए गए, जब लोकसभा में विपक्ष के 68 प्रतिशत सांसद निलंबित हैं।
आज ही लोकसभा के 2 सांसदों को निलंबित किया गया है, जिसके बाद निचले सदन में केवल 45 विपक्षी सांसद बचे हैं।
इसी तरह राज्यसभा के वर्तमान 238 सांसदों में से 95 सांसद ही विपक्ष के हैं, जिनमें से 46 निलंबित (लगभग 48 प्रतिशत) हैं।
विपक्षी नेताओं ने सांसदों के निलंबन के बावजूद विधेयक पारित किए जाने पर सवाल उठाए हैं।