चीन को एक और झटका, महाराष्ट्र सरकार ने लगाई 5,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर रोक
गलवान घाटी में हिंसा के बाद देशभर में चीन के खिलाफ पैदा हुए गुस्से के बीच महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनियों की 5,000 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं पर रोक लगा दी है। राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि केंद्र सरकार के परामर्श से लिया गया है और उसे इसके बारे में सूचित कर दिया गया है। बता दें कि इससे पहले भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और रेलवे भी चीन को ऐसा झटका दे चुके हैं।
15 जून को हुए थे परियोजनाओं के समझौते
महाराष्ट्र सरकार ने जिन परियोजनाओं को रद्द किया गया है, उन पर गलवान हिंसा से पहले के हैं। 'मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0' निवेश सम्मेलन के दौरान 15 जून को इन समझौते पर हस्ताक्षर हुए किए गए थे। इस सम्मेलन में महाराष्ट्र सरकार ने 12 कंपनियों के साथ 16,000 करोड़ रुपये निवेश के 12 समझौते किए थे। इनमें से नौ समझौते अमेरिका, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर की कंपनियों के साथ थे। चीनी कंपनियों के तीन समझौतों को छोड़ बाकी समझौते जारी रहेंगे।
इन समझौतों पर लगाई गई है रोक
चीनी कंपनियों के जिन तीन समझौतों पर रोक लगाई गई है, उनमें 'ग्रेट वॉल मोटर्स ऑटोमोबाइल' का समझौता सबसे बड़ा है। ये कंपनी 3,770 करोड़ रुपये का निवेश करके पुणे के तालेगांव में एक बड़ा ऑटोमोबाइल प्लांट लगाने वाली थी। इस परियोजना से 2,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता। दूसरा समझौता फोटोन चीन और PMI पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी के साथ था हुआ था। 1,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना से 1,500 लोगों को रोजगार मिलना था।
हेंगली इंजीनियरिंग का 250 करोड़ रुपये का समझौता भी रद्द
तीसरा समझौता जिस पर रोक लगाई गई है, वह हेंगली इंजीनियरिंग नामक कंपनी से हुआ था। ये कंपनी भी पुणे के तालेगांव में 250 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और इससे लगभग 150 लोगों को रोजगार मिलेगा।
समझौते रद्द करने पर ये बोले महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री
महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने इन समझौतों पर रोक लगाने के फैसले का ऐलान करते हुए कहा, "हमने केंद्र सरकार के परामर्श पर ये फैसला लिया है। इन समझौतों पर भारत-चीन सीमा पर पैदा हुए तनाव और 20 भारतीय जवानों की मौत से पहले हस्ताक्षर हुए थे।" उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय ने राज्य सरकार को चीनी कंपनियों के साथ आगे कोई समझौता नहीं करने की सलाह दी है।
चीनी कंपनियों से टेंडर्स वापस ले चुकी है BSNL
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार से पहले दो अन्य मोर्चों पर भी चीनी कंपनियों को झटका लग चुका है। सबसे पहले ये झटका BSNL से लगा जिसने दूरसंचार विभाग की सलाह पर 4G अपग्रेडेशन के लिए चीनी सामानों के उपयोग से संबंधित टेंडर्स पर फिर से काम करना शुरू कर दिया। BSNL अब इस परियोजना में चीनी सामान का उपयोग नहीं करेगी और इससे चीनी कंपनियों को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
रेलवे ने रद्द किया था 417 करोड़ रुपये का ठेका
इसके बाद रेलवे ने भी चीनी कंपनी का 417 करोड़ रुपये का ठेका रद्द कर दिया था। यह ठेका 'बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजायन इंस्टीट्यूट' के पास था और इसमें कानपुर और मुगल सराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे रूट पर सिग्नल और दूरसंचार का काम होना था। रेलवे ने कहा था कि परियोजना पर काफी धीमी गति से काम चल रहा था और इसी कारण इसे रद्द किया गया है।
सरकार ने मांगी चीन से आयात किए जाने वाले सामानों की सूची
खबरों की मानें तो केंद्र सरकार ने विभिन्न उद्योगों से चीन से आयात किए जाने वाले सामानों की विस्तृत जानकारी मांगी है, ताकि गैरजरूरी सामान का आयात रोका जा सके और भारत में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा सके।