शहीद कर्नल संतोष के माता-पिता बोले- गर्व है कि बेटे ने देश के लिए जान दी
क्या है खबर?
सोमवार रात लद्दाख की गलवान वैली में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के कर्नल बी संतोष बाबू शहीद हो गए।
अगर लॉकडाउन नहीं होता तो शायद आज कर्नल संतोष बाबू तेलंगाना के सूर्यापेट में अपने माता-पिता के साथ होते।
दअरसल, फरवरी में उनका तबादला हैदराबाद हो गया था, लेकिन इसकी औपचारिकताएं पूरी होने से पहले ही देश में लॉकडाउन लागू हो गया। इस वजह से वो हैदराबाद नहीं आ पाए।
बयान
फरवरी में हो गया था संतोष का तबादला
शहीद कर्नल संतोष के अंकल गनेश बाबू ने बताया, ''वो काफी समय से हैदाराबाद में तबादला कराने की कोशिश कर रहा था। फरवरी में कर्नल बनने के बाद तबादला हो गया था, लेकिन इसकी औपचारिकताएं पूरी होने से पहले ही लॉकडाउन लागू हो गया। इस वजह से उसे अगले आदेश तक लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर ही तैनात रहने के लिए कहा गया था।"
लद्दाख में तैनाती के दौरान संतोष ने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी।
सूचना
मंगलवार दोपहर माता-पिता को मिली बेटे की शहादत की खबर
मंगलवार दोपहर लगभग दो बजे संतोष की शहादत की खबर उनके 63 वर्षीय पिता बी उपेंद्र और 58 वर्षीय माता मंजुला के पास पहुंची।
उनके पिता उपेंद्र ने HT को बताया, "हम टीवी देख रहे थे, लेकिन इसमें शहीदों का नाम नहीं बताया जा रहा था। हमने नहीं सोचा था कि शहीदों में हमारा बेटा भी शामिल होगा, लेकिन जब हमें दिल्ली से हमारी बहू ने फोन कर बताया, तब हमें पता चला कि हमारा बेटा शहीद हो गया है।"
बातचीत
शहादत से दो दिन पहले संतोष ने की थी पिता से बात
कर्नल संतोष अपने पीछे पत्नी, नौ वर्षीय बेटी और 4 वर्षीय बेटे को छोड़कर गए हैं।
उपेंद्र ने बताया, "संतोष ने दो दिन पहले ही मुझसे बात करते हुए बताया कि कोरोना वायरस की स्थिति में सुधार होने के बाद उन्हें सितंबर में रिलीव किया जा सकता है, लेकिन अब वो हमें हमेशा के लिए छोड़कर चला गया है।"
जैसे ही संतोष की शहादत की खबर आई, उनके माता-पिता के मोहल्ले में मातम पिसर गया।
गर्व
माता-पिता बोले- बेटे की शहादत पर गर्व
उपेंद्र ने बताया, "वो पढ़ाई और ड्यूटी में हमेशा सबसे आगे था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह हमें ऐसे छोड़कर चला जाएगा, लेकिन मुझे गर्व है कि उसने देश के लिए अपनी जान दी है।"
संतोष की मां भी उनकी शहादत की खबर सुनकर टूट चुकी हैं, लेकिन बेटे की शहादत ने उनका माथा ऊंचा कर दिया है। उन्होंने कहा, "दुख होता है, लेकिन इस बात का गर्व है कि उसने देश के लिए जान दी है।"
पढ़ाई
2004 में सेना में कमीशन हुए थे संतोष बाबू
सूर्यापेट में प्राथमिक पढ़ाई पूरी करने के बाद संतोष ने कोर्कुकोंडा के सैनिक स्कूल में दाखिला लिया।
यहां से 12वीं तक की पढ़ाई के बाद उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से स्नातक किया।
यहां से वो देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी पहुंचे। 2004 में वो16 बिहार रेजीमेंट में कमीशन हुए और उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू आई।
इसके बाद से वो अलग-अलग जगहों पर देश की सीमा पर तैनात रहे। लद्दाख में उनकी तैनाती अंतिम साबित हुई।