जानिए कौन हैं पद्मश्री सम्मान पाने वाले 125 साल के स्वामी शिवानंद
सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने योग गुरू स्वामी शिवानंद को भारतीय जीवन पद्धति और योग को बढ़ावा देने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया। 125 साल के स्वामी शिवानंद वाराणसी में रहते हैं और जब वह राष्ट्रपति भवन में सम्मान लेने पहुंचे तो हर किसी की नजर उनकी सादगी पर थी। वहीं, उनके सम्मान प्राप्त करने के तरीके ने भी सभी का दिल छू लिया, जिसके बाद हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है। चलिए फिर जानते हैं।
तीन सदियां देख चुके हैं स्वामी शिवानंद
स्वामी शिवानंद का जन्म अविभाजित भारत के सिलहट जिले (अब बांग्लादेश) 8 अगस्त, 1896 में हुआ था। इस लिहाज से वह 125 साल के हो गए हैं और तीन सदियां देख चुके हैं। बता दें कि स्वामी शिवानंद ने महज 6 साल की उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। इसके बाद उनके रिश्तेदारों ने उन्हें आध्यात्मिक गुरु ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया था, जिन्होंने स्वामी शिवानंद को व्यावहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा के साथ योग का ज्ञान दिया।
मसालेदार खाने और सेक्स से दूर रहता हूं- स्वामी शिवानंद
एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए स्वामी शिवानंद ने बताया कि वह सेक्स से दूर रहते हैं और मसालेदार खाने का भी सेवन नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त, वह रोजाना योगाभ्यास जरूर करते हैं। अंग्रेजी राज में जन्मे शिवानंद आगे कहते हैं कि आज भी उन्हें तकनीक से जुड़ने में कोई रुचि नहीं है और वह पुराने ढंग से जीवन गुजारना पसंद करते हैं। वह संतोषी जीवन को महत्व देते हैं।
स्वामी शिवानंद से जुड़ी अन्य विशेष बातें
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वामी शिवानंद पिछले 50 वर्षों से पुरी में 400-600 कुष्ठ प्रभावित भिखारियों की सेवा कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद को 2019 में बेंगलुरु में योग रत्न पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वहीं, स्वामी शिवानंद ने 125 साल की उम्र में खुद का टीकाकरण कराने के बाद देशवासियों को COVID टीकाकरण के लिए प्रेरित भी किया था।
पद्मश्री सम्मान प्राप्त करने का अंदाज था अनूठा
स्वामी शिवानंद पद्मश्री सम्मान लेने के लिए नंगे पैर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। वहीं, जब सम्मान के लिए स्वामी शिवानंद का नाम बोला गया तो उन्होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने पहुंचे और दंडवत प्रणाम किया, जिसके बाद प्रधानमंत्री भी उनके आगे नतमस्तक हो गए थे। इसके बाद स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दंडवत प्रणाम किया और राष्ट्रपति ने भी उन्हें झुककर प्रणाम करके पद्मश्री से सम्मानित किया।