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    #NewsBytesExplainer: आदित्य-L1 के 7 पेलोड्स में से कौन क्या काम करेगा?
    आदित्य-L1 मिशन के साथ 7 पेलोड भेजे गए हैं (तस्वीर: ISRO)

    #NewsBytesExplainer: आदित्य-L1 के 7 पेलोड्स में से कौन क्या काम करेगा?

    लेखन रजनीश
    Sep 02, 2023
    03:58 pm

    क्या है खबर?

    भारत का पहला अंतरिक्ष आधारित आदित्य-L1 मिशन शनिवार को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। इस मिशन को अपने स्थापित किए जाने वाले लाग्रेंज बिंदु 1 (L1) तक पहुंचने में लगभग 125 दिन का समय लगेगा।

    आदित्य-L1 को L1 बिंदु के हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य की मॉनिटरिंग करना और उससे जुड़े विभिन्न तरह के डाटा प्रदान करना है। यह काम आदित्य-L1 अपने 7 अलग-अलग पेलोड के जरिए करेगा।

    पेलोड

    आदित्य-L1 मे हैं ये 7 पेलोड

    आदित्य-L1 मिशन के सातों पेलोड के नाम विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS), हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग X-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL10S), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX), प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA), एडवांस्ड ट्राय-एक्सल हाई रेजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स (MAG) हैं।

    इनमें से 4 पेलोड रिमोट सेंसिंग यानी सूर्य को मॉनिटर करने के लिए और 3 पेलोड इन-सीटू प्रयोग के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।

    कोरोना

    मिशन का मुख्य पेलोड है VELC

    विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) की बात करें तो यह आदित्य-L1 मिशन के मुख्य पेलोड में से एक है।

    इसे सूर्य की बाहरी परत कोरोना और कोरोनल मास इजेक्शन के अध्ययन के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी की क्षमता है।

    VELC को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरू द्वारा विकसित किया गया है। यह रिमोट सेंसिंग कैटेगरी का पेलोड है।

    पराबैगनी

    UV टेलीस्कोप है SUIT

    आदित्य-L1 मिशन के सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT) पेलोड को अल्ट्रा-वॉयलट (UV) या पराबैगनी रेंज के पास फोटोस्फीयर और क्रोमेस्फीयर की तस्वीरें लेने के लिए डिजाइन किया गया है।

    यह UV में सौर विकिरण की भिन्नता को मापने के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा।

    इसे ISRO की मदद से इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे द्वारा विकसित किया गया है।

    UV तरंग दैर्ध्य रेंज के निकट सोलर डिस्क की तस्वीर लेने के लिए SUIT एक UV टेलीस्कोप है।

    स्पेक्ट्रोमीटर

    तारे की तरह सूर्य का अध्ययन करने में सक्षम है SoLEXS

    सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) पेलोड एक सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है। यह सॉफ्ट एक्स-रे प्रवाह को मापने का काम करता है, जिसके जरिए सोलर फ्लेयर का अध्ययन करने में मदद मिलती है।

    सोलर फ्लेयर का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया यह पेलोड एक तारे की तरह सूर्य का अध्ययन करने में सक्षम है।

    इस पेलोड को बेंगलुरू स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किया गया है।

    फ्लेयर

    SoLEXS जैसा ही है HEL10S का काम

    हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग X-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL10S) पेलोड का काम भी काफी हद तक SoLEXS पेलोड जैसा ही है।

    इनके बीच प्रमुख अंतर यह है कि SoLEXS जहां सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है वहीं HEL10S सूर्य की तेज एक्स-रे फ्लेयर का अध्ययन करने में मदद करता है।

    यह सूर्य का एक तारे के रूप में अध्ययन करने में सक्षम है और इसे भी यूआर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरू में ही तैयार किया गया है।

    हवा

    ASPEX में दिए गए हैं 2 सबसिस्टम

    आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड में 2 सबसिस्टम सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) और सुपरथर्मल और एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) हैं।

    SWIS कम ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है और इसे सौर हवा में अल्फा पार्टिकल और प्रोटॉन मापने के लिए डिजाइन किया गया है। STEPS अधिक ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है और इसे सौर हवा में उच्च ऊर्जा वाले आयन मापने के लिए डिजाइन किया गया है। यह प्लाज्मा का विश्लेषण भी करेगा।

    ऊर्जा

    सौर ऊर्जा को समझने के लिए डिजाइन किया गया है PAPA

    प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA) पेलोड को सौर ऊर्जा को समझने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सौर हवाओं और उनकी संरचना को समझने का काम करता है।

    यह बड़े पैमाने पर सौर पवन आयनों का विश्लेषण भी करेगा।

    PAPA पेलोड को स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरी विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC), तिरुवनंतपुरम में विकसित किया गया है।

    इसमें सौर हवाओं, पार्टिकल विश्लेषण वाले इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं का पता लगाने की क्षमता है।

    चुंबकीय

    चुंबकीय क्षेत्र की माप करेगा MAG

    एडवांस्ड ट्राय-एक्सल हाई रेजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स (MAG) में चुंबकीय सेंसर्स के 2 सेट दिए गए हैं।

    एक सेंसर डिप्लॉय किए जाने वाले बूम पर लगा है और दूसरा बूम के बीच में लगा है। 6 मीटर लंबे बूम के बीच में लगा दूसरा सेंसर अंतरिक्ष यान से 3 मीटर दूर है।

    MAG पेलोड L1 बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की माप करेगा। यह इन-सीटू कैटेगरी का पेलोड है यानी यह सिर्फ अंतरिक्ष डाटा नहीं भेजेगा बल्कि वहां प्रयोग भी करेगा।

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