कर्नाटक सरकार ने CBI को पक्षपाती बताया, राज्य के मामलों की जांच वापस ली
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर लगे भूमि घोटाले के आरोपों के बीच राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से राज्यों के मामलों की जांच की अनुमति वापस ले ली है। राज्य के कानून मंत्री एचके पाटिल ने CBI पर पक्षपाती कार्रवाईयों का आरोप लगाते हुए कहा, "हम राज्य में CBI जांच के लिए खुली सहमति वापस ले रहे हैं। हम एजेंसी के दुरुपयोग के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। वे पक्षपातपूर्ण हैं...इसीलिए यह निर्णय ले रहे हैं।"
सिद्धारमैया पर आरोपों के कारण यह फैसला लेने से इंकार
पाटिल ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला इसलिए नहीं लिया गया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भूमि घोटाले के आरोप लगे हैं। पाटिल ने कहा, "हमने जितने भी मामले CBI को भेजे, उनमें उन्होंने कोई आरोपपत्र दाखिल नहीं किए, जिससे कई मामले लंबित रह गए हैं। उन्होंने हमारे द्वारा भेजे गए मामलों की जांच करने से भी इनकार कर दिया। ऐसे कई उदाहरण हैं।" उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य CBI को गलत रास्ता अपनाने से रोकना है।
बंगाल और पंजाब समेत अन्य विपक्षों ने भी लगाई है रोक
कर्नाटक भी अब उन विपक्षी शासित राज्यों की सूची में शामिल हो गया, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में CBI से खुली सहमति वापस ली है। इससे पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, केरल में कम्युनिस्ट पार्टी और तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने ऐसा किया है। पंजाब में नवंबर 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी ऐसा फैसला लिया था। बता दें, विपक्षी राज्य और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र में CBI को लेकर विवाद है।
खुली सहमति वापस लेने का क्या है अर्थ
CBI से खुली सहमति वापस लेने का अर्थ है कि जांच एजेंसी को राज्यों के मामलों की जांच के लिए राज्य सरकारों की लिखित सहमति की आवश्यकता होगी। यह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में सूचीबद्ध है, जो एजेंसी को नियंत्रित करता है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लगा है बड़ा झटका
कर्नाटक में मैसूरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से जुड़े कथित भूमि घोटाले में सिद्धारमैया को बुधवार को झटका लगा है। राज्य की विशेष कोर्ट ने उनके खिलाफ FIR का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने राज्य के लोकायुक्त को भी मामले की जांच करने का निर्देश दिया है। लोकायुक्त को जांच कर 3 महीने में रिपोर्ट पेश करनी होगी। इससे पहले हाई कोर्ट ने सिद्धरमैया के खिलाफ जांच कराने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को बरकरार रखा था।
क्या है MUDA भूमि घोटाला?
सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी, जो उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार में दी थी। इस जमीन को MUDA ने विकास के लिए अधिग्रहित किया था, जिसके बदले पार्वती को विजयनगर तीसरे और चौथे चरण के लेआउट में 38,283 वर्ग फीट की जमीन दी गई। आरोप है कि केसारे गांव की तुलना में इस जमीन की कीमत काफी ज्यादा है।