कोलकाता डॉक्टर की रेप-हत्या मामले में वे अनसुलझे सवाल, जिनके जवाब अभी तक नहीं मिले
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मामले में राज्य सरकार और पुलिस की भूमिका पर शुरुआत से ही सवालिया निशान हैं। पीड़िता के परिजनों ने भी सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। घटनास्थल पर तोड़फोड़, हत्या को आत्महत्या बताना और भीड़ के अस्पताल में उपद्रव से कई सवाल उठे हैं। आइए जानते हैं किन सवालों के जवाब फिलहाल नहीं मिले हैं।
घटना को पहले आत्महत्या क्यों बताया गया?
परिजनों ने बताया कि उन्हें 9 अगस्त की सुबह फोन पर बताया गया कि उनकी बेटी ने अस्पताल में आत्महत्या कर ली है। न्यूज18 के अनुसार, डॉक्टर की मां ने कहा, "पहले हमें अस्पताल से फोन आया कि आपकी बेटी बीमार है, फिर फोन काट दिया गया। मैंने फोन करके पूछा कि क्या हुआ तो उन्होंने मुझे अस्पताल आने को कहा। जब हमने दोबारा फोन किया, तो सामने वाले ने कहा कि आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है।"
शव का आनन-फानन में अंतिम संस्कार क्यों?
पीड़िता के पिता ने दावा किया कि उनकी बेटी के शव का अंतिम संस्कार पहले कर दिया गया, जबकि दूसरे शव पहले से कतार में थे। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पिता ने कहा, "श्मशान घाट में 3 शव थे, लेकिन हमारी बेटी का शव उनसे पहले जला दिया गया। हम अपने इकलौते बच्चे को खोने के बाद इतने सदमे में थे कि हम उस समय कुछ सोच या कर नहीं सकते थे।"
घटनास्थल से क्यों की गई छेड़छाड़?
प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि जिस सेमिनार हॉल में घटना हुई थी, उसे सील नहीं किया गया था। आमतौर पर घटनास्थल को तुरंत ही सील किया जाता है। घटना के बाद ही सेमिनार हॉल में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। डॉक्टरों का कहना है कि सबूत मिटाने के लिए निर्माण कार्य का सहारा लिया गया, जबकि ये काम सेमिनार हॉल के पास वाले कमरे में होना था।
किसके कहने पर अस्पताल में घुसी भीड़?
14-15 अगस्त की रात अस्पताल में भीड़ घुसी और जमकर तोड़फोड़ मचाई। भीड़ ने अस्पताल का आपातकालीन वार्ड को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। ये भीड़ कौन थी और कहां से आई थी, इसके बारे में कुछ पता नहीं है। कोलकाता पुलिस ने पहले 12 और फिर 19 लोगों की गिरफ्तारी का दावा किया। आरोप है कि भीड़ एक घंटे तक अस्पताल में तोड़फोड़ करती रही, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।
पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष पर सरकार इतनी मेहरबान क्यों?
कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष पर पहले भी भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। दैनिक भास्कर के मुताबिक, उनका 2 बार तबादला हो चुका है, लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते उन्होंने दोनों बार इसे निरस्त करवा दिया। घटना के बाद भी उन्होंने इस्तीफा दिया था, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं करते हुए उन्हें दूसरे कॉलेज का प्रधानाचार्य बना दिया। कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं।
पुलिस जांच पर भी कई संदेह
पीड़िता के पिता ने पुलिस के जांच के तरीके पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "पुलिस जांच में कुछ नहीं निकला। विभाग या कॉलेज ने हमारा सहयोग नहीं किया। जब जब्त वस्तुओं की सूची तैयार की जा रही थी, तब मैं मौजूद था। मेरी बेटी के बैग से कुछ रिपोर्ट और दवाइयां निकालीं। वे मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा कि आपकी बेटी बीमार थी, उसे बहुत सारी दवाईयां दी जाती थीं।"
क्या है डॉक्टर के बलात्कार और हत्या का मामला?
9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक महिला डॉक्टर का शव मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टर की हत्या से पहले रेप की पुष्टि हुई। उसकी आंख, मुंह, पैर, गर्दन, हाथ, कमर और निजी अंगों पर काफी चोटें थीं। मामले में पुलिस ने अस्पताल में आने-जाने वाले एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया है। फिलहाल CBI को मामले की जांच सौंपी गई है। सुरक्षा समेत कई मांगों को लेकर डॉक्टर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।