जेवर हवाई अड्डे के लिए जमीन के बदले सरकार ने दिया दूसरा गांव, बाढ़ से जलभराव
दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में बन रहे जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए जिन गांवों को स्थानांतरित किया जा रहा है, वहां बारिश के कारण बाढ़ आ गई है। गांव में 5 दिन से जलभराव है। इंडिया टुडे के मुताबिक, ग्रामीणों की नाराजगी के बाद जेवर के स्थानीय विधायक धीरेंद्र सिंह ने हस्तक्षेप किया। इसके बाद प्रशासन ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग (PWD) और सिंचाई विभाग से बात कर 5 सदस्यीय समिति गठित की।
जमीन देने वाले किसानों के साथ बुरा बर्ताव
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने कहा कि गांवों में बाढ़ का पानी आ गया है, जिसकी शिकायतों करने के बाद भी संबंधित अधिकारियों की प्रतिक्रिया बहुत सुस्त है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के लिए अपनी जमीन देने वाले किसानों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए, अगर क्षेत्र में जलभराव की समस्या है, तो संबंधित सभी अधिकारियों को तुरंत इससे निपटना चाहिए। वे ग्रामीणों को उनके हाल पर नहीं छोड़ सकते।
प्रशासन ने शुरू किया काम
गौतमबुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट मनीष वर्मा ने कहा कि जेवर के कुछ गांवों में भारी बारिश के कारण लगातार जलभराव की जानकारी मिली है और पाया गया है कि कई जगहों पर जल निकासी व्यवस्था अवरुद्ध हो गई है। वर्मा ने बताया कि प्रशासन ने समस्याओं को ठीक करना शुरू कर दिया है और क्षेत्र से पानी कम होना शुरू हो गया है। एक दो दिन में गांवों से सारा पानी निकल जाएगा।
क्या है जेवर हवाई अड्डे की खासियत?
जेवर हवाई अड्डे की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2021 में रखी थी। इसकी डिज़ाइन स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख हवाई अड्डे से प्रेरित है और इसका निर्माण भी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल कर रही है। इस हवाई अड्डे से प्रतिवर्ष 1.20 करोड़ यात्रियों को संभालने और 96,400 उड़ानों का प्रबंधन करने की उम्मीद है। हवाई अड्डा गौतम बुद्ध नगर के जेवर में 1,334 हेक्टेयर में बन रहा है। यह दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 72 किलोमीटर दूर है।
एक हफ्ते पहले योगी आदित्यनाथ ने किया था दौरा
जलभराव की घटना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हवाई अड्डे का निरीक्षण करने के एक सप्ताह बाद सामने आई है। उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा था कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर कोई भी बाहरी व्यक्ति ग्रामीणों को गुमराह न करे।