ग्रेटर नोएडा: शारदा यूनिवर्सिटी के पेपर में पूछा हिंदुत्व और फांसीवाद पर सवाल, खड़ा हुआ विवाद
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में BA प्रथम वर्ष की राजनीतिक विज्ञान की परीक्षा के पेपर में हिंदुत्व, फांसीवाद और नाजीवाद पर सवाल पूछने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
भाजपा और हिंदू संगठनों के इस पर विरोध जताने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रश्न पत्र की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया और प्रश्न पत्र तैयार करने वाले लेक्चरर को निलंबित कर दिया। मामले की जांच जारी है।
प्रकरण
परीक्षा में क्या पूछा गया था सवाल?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही प्रश्न पत्र की फोटो के अनुसार, परीक्षा में छात्रों से पूछा गया था कि 'क्या आप हिन्दुत्व, फासीवाद और नाजीवाद में समानता पाते हैं? तर्कों के साथ विस्तार से समझाएं'।
इसको लेकर कुछ लोगों ने यूनिवर्सिटी पर छात्रों से हिंदू विरोधी सवाल पूछने का आरोप लगाया।
इस पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर प्रश्न पत्र तैयार करने वाले शिक्षक को निलंबित कर दिया है।
आरोप
मुस्लिम शिक्षक ने तैयार किया प्रश्न पत्र- भाजपा
इस मामले में विवाद उस समय गहरा गया जब भाजपा के नेता विकास प्रीतम सिन्हा ने प्रश्न पत्र की फोटो के साथ ट्वीट कर इस पर आपत्ति जताई।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'यूनिवर्सिटी का नाम 'शारदा' है, लेकिन छात्रों से हिंदू धर्म को अनिवार्य रूप से फासीवाद और नाजीवाद के समकक्ष साबित करने के लिए कह रहा है। यह प्रश्न पत्र कथित तौर पर एक मुस्लिम शिक्षक द्वारा ही तैयार किया गया था।'
विरोध
हिंदूवादी संगठनों ने भी जताया है विरोध
इस प्रश्न को लेकर सोशल मीडिया पर हिंदूवादी संगठनों ने भी विरोध जताया है। संगठन के लोगों का कहना है कि शारदा यूनिवर्सिटी हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रचार-प्रसार कर रही है।
हिंदुत्व को फासीवाद और नाजीवाद जैसा बताकर छात्रों को गलत शिक्षा दी जा रही है। यह पूरी तरह से गलत है और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
इसके बाद यूनिवर्सिटी ने मामले में संज्ञान लेते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी।
बयान
यूनिवर्सिटी ने भी जारी किया है बयान
इस पूरे मामले में अब शारदा यूनिवर्सिटी की ओर से भी एक बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि उसे खेद है कि ऐसी घटना हुई है जिसमें सामाजिक कलह को भड़काने की कोशिश की गई। जांच समिति ने सवाल को आपत्तिजनक पाया है। परीक्षा में इस प्रश्न को अनदेखा किया जा सकता था।
बयान में कहा गया कि यूनिवर्सिटी हर उस विचारधारा के खिलाफ है जो राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति को खराब करती है।