INS विक्रांत: भारतीय नौसेना में शामिल हुए इस जंगी जहाज में क्या-क्या है?
भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत आज 2 सितंबर को केरल के कोच्चि में भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने INA विक्रांत को नौसेना के बेड़े में कमीशन किया। भारत के पास पहले से ही रूस में बना INS विक्रमादित्य मौजूद है। लेकिन INS विक्रांत के कमीशन होने के बाद देश में दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे। इससे समंदर में भारत की ताकत में बड़ा इजाफा होगा।
जहाज के अंदर क्या-क्या चीजें हैं?
INS विक्रांत के अंदर 2,300 कंपार्टमेंट हैं। इसमें 16 बेड का अस्पताल भी है, जिसमें दो ऑपरेशन थिएटर, लैब, ICU और CT स्कैन है। जहाज में बनी किचन को गैले कहा जाता है, जिसमें एक साथ सैकड़ों नौसैनिकों के लिए भोजन बन सकता है। रहने के लिए क्वार्टर बने हुए हैं। जहाज की लंबाई 262 मीटर, ऊंचाई 60 मीटर और वजन 45,000 टन है। इस जहाज पर समुद्र की तेज लहरों का कोई खास असर महसूस नहीं होता है।
13 साल में तैयार हुआ नया INS विक्रांत
सरकारी जहाज बनाने वाली कंपनी कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने INS विक्रांत को 13 साल में तैयार किया है। संस्कृत भाषा में विक्रांत का मतलब बहादुर है। भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का भी यही नाम था। उसे ब्रिटेन की रॉयल नौसेना से खरीदा गया था और 1961 में कमीशन किया गया था। हालांकि, 1997 में INS विक्रांत को डिकमीशन कर दिया गया था। इसने कई मिलिट्री ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जहाज में कितने सैनिक, हेलिकॉप्टर और मिसाइल होंगे?
नया INS विक्रांत में 1,700 नौसेनिकों के अलावा 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर को ले जाने में सक्षम है। जहाज के पीछे के हिस्से में मिग-29K लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर और MH-60R मल्टी रोल हेलीकॉप्टर रखे गए हैं। वरिष्ठ इंजीनियरिंग अफसर लेफ्टिनेंट कमांडर साई कृष्णण कहते हैं, "जहाज के थ्रॉटल कंट्रोल रूम (TCR) को हम जहाज का दिल कहते हैं। यहां से गैस टरबाइन इंजन का संचालन होता है। इसके चार इंजन 88 मेगावॉट की पावर देते हैं।"
फ्लाइट डेक अफसर ने क्या कहा?
लेफ्टिनेंट कमांडर सिद्धार्थ सोनी इस जहाज के फ्लाइट डेक अफसर हैं और एक हेलीकॉप्टर पायलेट भी। वो कहते हैं, "हमारा फ्लाइट डेक करीब 12,500 स्कॉयर मीटर का है यानि कि करीब ढाई हॉकी फील्ड जितना और यहां से हम एक बार में 12 लड़ाकू विमान और छह हेलीकॉप्टर को ऑपरेट कर सकते हैं।" उन्होंने कहा कि ये पहले के एयरक्राफ्ट कैरियर से बहुत बड़ा है और ज्यादा जगह होने से सेना ज्यादा विमान रख सकती है।
जहाज बनाने के समय को कम करना चाहते हैं CSL के चेयरमैन
सरकार ने इस जहाज के लिए जनवरी, 2003 में मंजूरी दी थी और 2007 में पहला कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद काम शुरू हुआ। जहाज बनने के दूसरे चरण में जब हथियार, प्रोपल्शन सिस्टम और रूस से आए एविएशन कॉम्प्लेक्स लगने थे, तब उसमें देरी हो गई थी। CSL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मधु नायर ने कहा, "जहाज को बनाने की अवधि को हम कम कर सकते हैं। लेकिन हमने ये पहली बार किया था, इसलिए हमें खुशी है।"
न्यूजबाइट्स प्लस
चीन ने 2012 से 2022 के बीच दो एयरक्राफ्ट कैरियर कमीशन किए और अब तक के सबसे बड़े तीसरे कैरियर पर काम शुरू कर दिया है। अमेरिका और ब्रिटेन की नौसेना को भी पीछे छोड़ते हुए चीन ने अपनी नौसेना बेड़े में इजाफा किया है।