वायु प्रदूषण से भारत में 5 तो दिल्ली में 10 साल छोटी हो रही जिंदगी- अध्ययन
भारत में तेजी से बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। इससे जहां भारत में हर नागरिक की औसत जिंदगी पांच साल छोटी हो रही है, वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रहने वालों की जिंदगी में 10 साल की कटौती हो रही है। शिकागो यूनिवर्सिटी में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) की ओर से मंगलवार को जारी किए गए वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) में यह हैरान करने वाला खुलासा हुआ है।
वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा कम हो रही है जिंदगी
AQLI के अनुसार, वायु प्रदूषण जिंदगी को सबसे अधिक छोटा कर रहा है। इसके कारण वैश्विक औसत जीवन प्रत्याशा से 2.2 साल की कमी आई है। वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा शराब के इस्तेमाल और असुरक्षित पानी पीने से तीन गुना से अधिक, HIV/एड्स से छह गुना ज्यादा और हिंसा तथा आतंकवाद की तुलना में 89 गुना अधिक कम होती है। बता दें कि मातृत्व कुपोषण से औसत आयु 1.8 साल और धूम्रपान से 1.5 साल कम होती है।
बांग्लादेश के बाद दूसरा सबसे प्रदूषित देश है भारत
AQLI के विश्लेषण के अनुसार, दुनियाभर में बांग्लादेश सबसे प्रदूषित देश है और इसके कारण वहां हर नागरिक की औसत जिंदगी 6.9 साल कम हो रही है। उसके बाद दूसरे नंबर पर काबिज भारत में पांच साल, तीसरे स्थान पर आए नेपाल में 4.1 साल, चौथे स्थान वाले पाकिस्तान में 3.8 साल और पांचवें पायदान वाले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 2.9 साल की जिंदगी कम हो रही है। इस स्थिति को वैश्विक आपातकाल करार दिया गया है।
खतरे में रह रही है देश की 63 प्रतिशत आबादी
बता दें कि वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के बोझ को कम करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हवा में PM2.5 का स्तर 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का लक्ष्य रखा है, लेकिन भारत में यह दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। पूरे भारत में प्रदूषण का स्तर WHO मानक से अधिक है। देश की 63 प्रतिशत आबादी प्रदूषण के 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर वाले क्षेत्र में रहती है। यह बड़े खतरे का संकेत है।
1998 की तुलना में 61.4 प्रतिशत बढ़ा वायु प्रदूषण
विश्लेषण के अनुसार, दुनिया में 1998 की तुलना में वायु प्रदूषण में 61.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इससे औसत जीवन प्रत्याशा में 2.1 साल की कमी आई है। इसी तरह दुनिया में 2013 के बाद भारत की तुलना में 44 प्रतिशत प्रदूषण बढ़ा है।
ये हैं भारत के सबसे अधिक प्रदूषित राज्य
इस वर्ष के विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, त्रिपुरा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान देश के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित राज्य हैं। इन राज्यों में प्रदूषण का स्तर अधिक होने से लोगों की उम्र में काफी गिरावट आई है। इसमें दिल्ली में जहां सबसे अधिक 10 साल, उत्तर प्रदेश (9.5 साल), बिहार (7.8 साल), हरियाणा (7.5 साल), त्रिपुरा (छह साल), पंजाब (5.8 साल) और पश्चिम बंगाल में (5.6 साल) की कमी आई है।
दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है सिंधु-गंगा का मैदान
विश्लेषण में भारत के सिंधु-गंगा के मैदान को PM2.5 के स्तर के 76.2 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर पर पहुंचने के कारण दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बताया गया है। यदि इस क्षेत्र में वर्तमान प्रदूषण का स्तर आगे भी बना रहता है तो पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक के क्षेत्र में रहने वाली करीब 50 करोड़ की आबादी की जिंदगी औसतन 7.6 साल छोटी हो सकती है। इनमें लखनऊ में लोगों की उम्र 9.5 साल कम हो सकती है।
दिल्ली में सबसे अधिक है प्रदूषण का स्तर
दिल्ली में PM2.5 का स्तर 107.6 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर है, जो WHO की सुरक्षित सीमा से 10 गुना अधिक है। PM2.5 जहरीले पदार्थों से बना एक अत्यंत सूक्ष्म कण है, जो फेफड़ों और अन्य अंगों में जमा होकर सुरक्षा तंत्र को कमजोर करता है।
वैश्विक आपातकाल के समान है मौजूदा हालात- ग्रीनस्टोन
विशिष्ट सेवा प्रोफेसर और EPIC में AQLI के निर्माता प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन ने कहा, "अगर मार्टियंस पृथ्वी पर आएं और एक पदार्थ का छिड़काव कर दें, जिससे ग्रह पर व्यक्ति औसतन दो साल से अधिक जीवन प्रत्याशा खो दे। इस स्थिति को वैश्विक आपातकाल कहा जाएगा।" उन्होंने कहा, "मौजूदा हालात भी उसके समान हैं जो दुनिया के कई हिस्सों में व्याप्त है। सिवाय इसके कि बाहरी अंतरिक्ष से कुछ आक्रमणकारियों ने किसी पदार्थ का छिड़काव नहीं किया है।"