भारतीय नौसेना में शामिल हुआ स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक INS मोरमुगाओ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को मुंबई स्थित नेवल डॉकयार्ड में P15B क्लास के स्वदेशी स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल विध्वंसक भारतीय नौसेना पोत (INS) मोरमुगाओ को भारतीय नौसेना में कमीशन किया। इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार भी मौजूद रहे। गौरतलब है कि INS मोरमुगाओ का डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है, जबकि इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है।
क्या हैं INS मोरमुगाओ की विशेषताएं?
भारतीय नौसेना के मुताबिक, INS मोरमुगाओ की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7,400 टन है। बता दें कि INS मोरमुगाओ को सतह से सतह पर मार करने वाली और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों समेत कई अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस किया गया है। यह सभी तरह के परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध जैसी परिस्थितियों में भी लड़ने में सक्षम है। इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है।
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रॉकेट और टॉरपीडो लॉन्चिंग की भी है व्यवस्था
INS मोरमुगाओ विशाखापत्तनम श्रेणी के चार विध्वंसकों में से दूसरा है। इसके अंदर चार शक्तिशाली गैस टरबाइन हैं और यह 30 समुद्री मील की गति से तैर सकता है। इसमें रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और ASW हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी की गई है। INS मोरमुगाओ को पहली बार 19 दिसंबर 2021 को समुद्र में उतारा गया था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की आजादी के 60 वर्ष पूरे हुए थे।
गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह पर रखा गया है INS मोरमुगाओ का नाम
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के क्षेत्र में यह उपलब्धि पिछले दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में भारत द्वारा उठाए गए बड़े कदमों का संकेत है। उन्होंने कहा कि नौसेना में शहरों के नाम पर जहाजों के नाम रखने की परंपरा है, जो दोनों के बीच एक स्थायी संबंध को बनाता है। गौरतलब है कि INS मोरमुगाओ का नाम गोवा में स्थित मोरमुगाओ बंदरगाह के नाम पर रखा गया है।
INS मोरमुगाओ से भारत की समुद्री क्षमता में होगी बढ़ोतरी- रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि INS मोरमुगाओ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोत में से एक है और इससे भारत की समुद्री क्षमता में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने आगे कहा, "यह युद्धपोत भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है और इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आने वाले समय में हम ना केवल अपनी जरूरतों के लिए बल्कि दुनिया भर की जरूरतों के लिए भी जहाज निर्माण करेंगे।"