स्वदेशी हल्के युद्धक टैंक का जल्द शुरू होगा लद्दाख समेत उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में परीक्षण
ऊंचाई से दुश्मनों को जवाब देने के लिए डिजाइन किए गए स्वदेश निर्मित हल्के युद्धक टैंक (LBT) का भारत व्यापक परीक्षण शुरू करने जा रहा है। भारतीय सेना 2025 में लद्दाख समेत ऐसे ऊंचाई वाले अन्य क्षेत्रों में इस टैंक का बड़ा सैन्य परीक्षण करेगी, जो देश के बख्तरबंद बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। टैंक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा इंजीनियरिंग फर्म लार्सन एंड टूब्रो (l&T) के सहयोग से विकसित किया गया है।
क्या है टैंक की खासियत?
हल्के युद्धक टैंक 'जोरावर' को खासतौर पर 4,000 मीटर से ज़्यादा ऊंचाई पर ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है। इसका वजन काफी हल्का सिर्फ 25 टन है। इसे दुर्गम इलाकों में ले जाना आसान होगा। इसमें 105 एमएम की फील्ड गन लगी है, जो दुश्मनों के बख्तरबंद वाहनों के परखच्चे उड़ा सकता है। पारंपरिक भारी टैंकों के विपरीत, यह कठिन इलाकों और चुनौतीपूर्ण युद्ध स्थितियों के लिए अनुकूलित है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित होता है।
क्यों पड़ी इस टैंक की जरूरत?
गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 2020 में हुई झड़प के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर काफी तनाव बढ़ गया। पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक चीनी सीमा पर सतर्क रहने के लिए भारत ने काफी तैयारी की और युद्धक टैंक भी ऊंचे स्थानों पर तैनात किए थे। इस दौरान तेज मूवमेंट के लिए हल्के युद्धक टैंक की जरूरत थी। अभी सेना के पास 65 टन के टैंक हैं। चीन ने भी हल्के टैंक तैनात किए हैं।