क्या है चीन में मिला नया वेटलैंड वायरस, जो सीधा करता है दिमाग पर हमला?
कोरोना जैसे घातक वायरस के बाद अब चीन में एक और नए वायरस ने दस्तक दे दी है। इसे वेटलैंड (WELV) नाम दिया गया है। यह वायरस टिक (मकड़ियों, बिच्छुओं और घुनों के परिवार का सदस्य) के काटने से इंसानों में फैल सकता है। इसे अन्य वायरस की तुलना में ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि यह सीधे दिमाग पर हमला करता है, जिससे मरीज कोमा में चला जाता है। आइए इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।
कैसे हुई इस वायरस की खोज?
4 सितंबर, 2024 को द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, वेटलैंड वायरस पहली बार जून 2019 में चीन के जिनझोउ शहर के अस्पताल के उपचार कर रहे मरीज में मिला था। इनर मंगोलिया में एक पार्क में जाने के लगभग 5 दिन बाद 61 वर्षीय शख्स को बुखार, सिरदर्द और उल्टी की समस्या हुई थी। पीड़ित ने डॉक्टरों को टिक के काटाने की जानकारी दी। एंटीबायोटिक्स से असर न होने पर उसकी जांच कराई गई।
जांच में क्या सामने आया?
जांच में मरीज के DNA और RNA के विश्लेषण से ऐसा वायरस मिला जो पहले कभी नहीं देखा गया था। यह वायरसों का एक समूह है जिसमें टिक द्वारा ले जाए जाने वाले कई वायरस शामिल हैं। जांच में यही मरीज के बुखार का कारण भी पाया गया। यह बुखार दुर्लभ और घातक बीमारी है जो टिक के काटने या संक्रमित लोगों के शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से मनुष्यों में फैल सकती है।
शोधकर्ताओं ने वायरस की जानकारी जुटाने के लिए किए परीक्षण
शोधकर्ताओं ने नए वायरस पता लगने के बाद उत्तरी चीन में टिक और जानवरों में इसकी तलाश की। जांच में उस वेटलैंड पार्क को भी शामिल किया, जहां वह मरीज गया था। शोधकर्ताओं ने लगभग 14,600 टिक जमा किए और उन्हें स्थान और प्रजातियों के आधार पर अलग किया। इसके बाद जांच में पता चला कि 5 टिक प्रजातियां वायरस के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें हेमाफिसेलिस कॉन्सिना प्रजाति के टिक इस वायरस के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार पाए गए।
वेटलैंड वायरस से संक्रमितों में मिले इस तरह के लक्षण
शोधकर्ताओं ने वन रेंजरों के रक्त नमूनों का भी विश्लेषण किया और पाया कि 640 में से 12 में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मौजूद थी। इसी तरह पूर्वोत्तर चीन के 4 अस्पतालों और क्षेत्र के अन्य लोगों में भी वायरस की जांच की थी। इस दौरान संक्रमित मरीजों से पूछताछ करने पर सामने आया कि संक्रमित होने के बाद उनके बुखार, चक्कर आना, सिरदर्द, पीठ दर्द के साथ-साथ उल्टी और दस्त जैसे सामान्य लक्षण नजर आए थे।
दिमाग पर हमला करता है वायरस
विशेषज्ञों के अनुसार, वेटलैंड वायरस संक्रमित मरीज के दिमाग पर हमला करता है। इससे रोगी के कोमा जाने का सबसे बड़ा खतरा रहता है। इससे संक्रमित मरीजों के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के द्रव में श्वेत रक्त कोशिकाओं में संक्रमण होने का भी खतरा रहता है। हालांकि, इस तरह के लक्षण वाले अधिकरत मरीज उपचार के बाद ठीक हो गए थे और उन्हें 4 से 15 दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
चूहों पर किया गया वायरस का प्रयोग
विशेषज्ञों ने वायरस के खतरों का पता लगाने के लिए चूहों पर भी प्रयोग किया। इस प्रयोग की रिपोर्ट में सामने आया है कि यह वायरस घातक संक्रमण भी पैदा कर सकता है, जो मस्तिष्क सहित शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
वेटलैंड वायरस से बचाव के क्या हैं उपाय?
विशेषज्ञों के अनुसार, वायरस के संबंध में अभी विस्तृत जानकारी नहीं है। ऐसे में इसका कोई सटीक उपचार नहीं है। ऐसे में लोग खुद को टिक के काटने से बचाकर, पार्क या आद्र भूमि क्षेत्र में जाने समय पूरी आस्तीन के कपड़े और जूने पहनकर और टिकाें को घरों से दूर रखने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करते हुए वायरस की चपेट में आने से बचा सकते है। इसके बाद भी लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
भारत में वेटलैंड वायरस को लेकर कितना है खतरा?
महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जुगल किशोर का कहना है कि इस तरह के वायरस चीन में पहले भी आते रहे हैं। ये वायरस किट से जानवार और किट से इंसानों तक फैल सकते हैं। हालांंकि, चीन में पाए गए इस वायरस से भारत में पैनिक होने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन की यात्रा करके आने वाले लोगों का भारत पहुंचकर सबसे पहले अपनी जांच करा लेना ही बेहतर उपचार है।