#NewsBytesExplainer: भारत ने EFTA के साथ किया बड़ा व्यापारिक समझौता, क्यों है अहम?
क्या है खबर?
भारत और 4 यूरोपीय देशों के समूह यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बीच एक अहम समझौता हुआ है। इसके तहत वस्तुओं, सेवाओं और निवेश में परस्पर व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा।
सदस्य देशों ने अगले 15 सालों के दौरान 82 लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद जताई है। इस समझौते को 7 मार्च को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और आज (10 मार्च) को इस पर हस्ताक्षर हो गए हैं।
आइए समझते हैं ये कितना फायदेमंद है।
EFTA
सबसे पहले जानिए क्या है EFTA
EFTA यूरोप के 4 देश- आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड का एक अंतर-सरकारी संगठन है। ये चारों देश यूरोपीय संघ (EU) का हिस्सा नहीं हैं।
इस संगठन की स्थापना साल 1960 में हुई थी, जिसका उद्देश्य उन यूरोपीय देशों के लिए एक वैकल्पिक व्यापार संगठन बनाना था, जो EU का हिस्सा नहीं थे। स्थापना के वक्त इसमें 7 देश थे, जिनमें से कुछ बाद में EU में शामिल हो गए।
समझौता
समझौते में क्या-क्या है?
भारत और EFTA आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जनवरी, 2008 से आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर बातचीत कर रहे हैं।
फिलहाल जो समझौता हुआ है उसमें 14 अध्याय हैं। इनमें वस्तुओं का व्यापार, उत्पत्ति के नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं जैसे मुद्दे शामिल हैं।
सदस्य देशों के बीच तत्काल प्रभाव से शुल्क मुक्त पहुंच शुरू हो गई है।
अहमियत
क्यों अहम है समझौता?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, समझौते से भारत से निर्यात होने वाले लगभग सभी औद्योगिक सामानों से संबंधित क्षेत्रों को लाभ होने की संभावना है। भारत को सेवा क्षेत्र में लाभ मिल सकता है और इस क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने में मदद कर सकता है।
इससे भारतीय प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों को भी EFTA देशों में अधिक बाजार पहुंच मिल सकती है। इसके अलावा निवेश में 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
व्यापार
EFTA देशों के साथ कैसा है भारत का व्यापार?
वित्त वर्ष 2023-24 में EFTA देशों को भारत ने 15,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं निर्यात कीं। इनमें रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, परिधान, मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर जैसी वस्तुएं शामिल थीं।
भारत ने EFTA देशों से 1.6 लाख करोड़ रुपये का सामान आयात किया, जिसमें मोती, कीमती या अर्ध-कीमती पत्थर, कीमती धातुएं और 1.3 लाख करोड़ रुपये के सिक्के शामिल हैं। भारत कुल सोने के आयात का करीब 80 प्रतिशत स्विट्जरलैंड से करता है।
आशंकाएं
समझौते को लेकर थोड़ी आशंकाएं भी
इसी साल स्विट्जरलैंड ने सभी औद्योगिक वस्तुओं पर आयात शुल्क खत्म कर दिया है। EFTA देशों में स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा साझेदार है और उसके साथ 98 प्रतिशत निर्यात पहले से ही शून्य टैरिफ पर हो रहा है।
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अजय श्रीवास्तव ने मिंट से कहा, "सख्त गुणवत्ता मानकों और गैर-टैरिफ बाधाओं के कारण भारत का कृषि निर्यात न्यूनतम है और इसमें उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना नहीं है।"
बयान
समझौते को लेकर किसने क्या कहा?
उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "आज का दिन बेहद खास है। EFTA के साथ व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर करना लगभग 15 वर्षों की कड़ी मेहनत के परिणामों का प्रतीक है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "व्यापार समझौता खुले, मुक्त, न्यायसंगत व्यापार के साथ-साथ युवाओं के लिए विकास और रोजगार पैदा करने की हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। भारत और EFTA के बीच मजबूत और समावेशी साझेदारी हमारे लोगों की आकांक्षाओं को आगे बढ़ा रही है।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
FTA 2 या 2 से ज्यादा देशों के बीच व्यापार को आसान बनाने के लिए किया जाता है।
इसके तहत आयात और निर्यात शुल्क को कम कर या खत्म कर देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या बिना किसी टैरिफ बाधाओं के किया जा सकता है।
इसके अंतर्गत सरकारी शुल्क, कोटा और सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं। भारत के कई देशों के साथ इस तरह के समझौते हैं।