भारतीय रेलवे शुरू करने जा रहा पैसेंजर ट्रेन सेवा, सोमवार से होगी बुकिंग
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 17 मई तक पूरे देश में लॉकडाउन जारी है। इसी बीच भारतीय रेलवे ने सामान्य ट्रेनों के परिचालन को दोबारा से शुरू करने की घोषणा की है। भारतीय रेलवे की ओर से कहा गया है कि फिलहाल 15 जोड़ी यात्री (30 वापसी यात्राएं) ट्रेनों को 12 मई से शुरू करने की योजना है। टिकट की बुकिंग सिर्फ IRCTC की वेबसाइट से ही की जा सकेगी। आइए जानें पूरी खबर।
इन जगहों के लिए चलेंगी ट्रेनें
भारतीय रेलवे की योजना है कि 12 मई से धीरे-धीरे ट्रेनों का संचालन शुरू किया जाएगा। इस दौरान नई दिल्ली स्टेशन से डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद और जम्मू तवी को जोड़ने वाली इन ट्रेनों को विशेष ट्रेनों के रूप में चलाया जाएगा। इसके बाद रेलवे कुछ अन्य मार्गों पर विशेष ट्रेनें संचालित करेगी। ट्रेनों में रिजर्वेशन के लिए बुकिंग 11 मई शाम 4 बजे से शुरू होगी।
प्रवासी मजदूरों के लिए रोजाना 300 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने को तैयार रेलवे- पीयूष गोयल
इससे पहले केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कहा था कि प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए रेलवे रोजाना 300 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने को तैयार है। उन्होंने राज्यों से मजदूरों को अगले तीन-चार दिन के अंदर उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए प्रयास तेज करने को भी कहा। उनके इस बयान को प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर अपनी छवि सुधारने के केंद्र सरकार के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चला रही है रेलवे
29 अप्रैल को केंद्र सरकार ने अपनी गाइडलाइंस में बदलाव करते हुए राज्यों को लॉकडाउन के कारण उनके यहां फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने की अनुमति दी थी। हालांकि, राज्यों को इसके लिए केवल बसों के प्रयोग की अनुमति दी गई थी। राज्यों के बसों के जरिए ऐसा करने में कई परेशानियों का जिक्र करने के बाद केंद्र सरकार ने 'श्रमिक एक्सप्रेस' के नाम से विशेष ट्रेनें चलाने का आदेश दिया था।
हर ट्रेन में 24 डिब्बे, हर डिब्बे में 54 यात्री
एक अनुमान के मुताबिक, करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के कारण देशभर में फंसे हुए हैं और राज्यों की मांग पर उनके लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा रही हैं। ज्यादातर ट्रेनों में 24 डिब्बे हैं। हर डिब्बे में 72 यात्री आ सकते हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए एक डिब्बे में केवल 54 लोगों को ले जाया जा रहा है। हर ट्रेन में सफर करने वाले लोगों की संख्या लगभग 1,200 है।
रविवार तक चलाई गईं 366 ट्रेनें
रेलवे मंत्रालय के अनुसार, रविवार तक विभिन्न राज्यों के 3,60,000 प्रवासी मजदूरों के लिए 366 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं। इनमें से 287 ट्रेनें अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं, वही 79 अभी भी सफर में हैं। गंतव्य तक पहुंची 287 में से 127 ट्रेनें उत्तर प्रदेश, 87 ट्रेनें बिहार, 20 ट्रेनें ओडिशा, 24 ट्रेनें मध्य प्रदेश, 16 ट्रेनें झारखंड, चार ट्रेनें राजस्थान, दो-दो ट्रेनें तेलंगाना और पश्चिम बंगाल और एक ट्रेन आंध्र प्रदेश पहुंची है।
उत्तर प्रदेश औऱ बिहार में सबसे अधिक मजदूर वापस लौटे
उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे अधिक प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं। रेलवे मंत्रालय के अनुसार, दोनों राज्यों में 80-80 हजार मजदूर वापस आ चुके हैं। इनके बाद मध्य प्रदेश और झारखंड का नंबर आता है।
ट्रेनों की कमी और जटिल प्रक्रिया के कारण हजारों मजदूर अभी भी पैदल जा रहे घर
हालांकि ये श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें प्रवासी मजदूरों की संख्या को देखते हुए नाकाफी साबित हो रही हैं। इसके अलावा इनके लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी काफी जटिल है। इन्हीं दिक्कतों के कारण हजारों प्रवासी मजदूर अब भी पैदल अपने घरों की तरफ जा रहे हैं। महाराष्ट्र के औऱंगाबाद में ऐसे ही 16 प्रवासी मजदूर एक मालगाड़ी के नीचे कटकर मर गए। वहीं मध्य प्रदेश में एक ट्रक पलटने से पांच प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई।
पीयूष गोयल ने कहा- रोजाना 300 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने को तैयार रेलवे
अब रेलवे मंत्रालय ने रोजाना 300 ट्रेनें चलाने का फैसला किया है। पीयूष गोयल ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'प्रधानमंत्री मोदी जी के निर्देशों पर रेलवे पिछले छह दिनों से रोजाना 300 श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने को तैयार है। मैं सभी राज्यों से फंसे हुए प्रवासियों को वापस लाने और इवेक्युएट करने की अनुमति देने की अपील करता हूं ताकि अगले 3-4 दिन में ही हम उन्हें उनके घर पहुंचा सके।'
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर छवि सुधारने की कोशिश में केंद्र सरकार
बता दें कि लॉकडाउन की शुरूआत से ही केंद्र सरकार पर प्रवासी मजदूरों के प्रति उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लग रहा है। औरंगाबाद और मध्य प्रदेश की इन घटनाओं ने इन आरोपों को और मजबूती दी है जिसके बाद केंद्र सरकार को अपनी छवि पर नुकसान पड़ने की आशंका है। अब सरकार इस छवि को बदलने के प्रयास में हैं और रेलवे मंत्रालय के इस फैसले को इसी कड़ी की शुरूआत माना जा सकता है।