महाराष्ट्र: उप मुख्यमंत्री की रेल मंत्री से मांग, प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जाएं विशेष ट्रेनें
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि मजदूर अपने घर वापस लौटने को लेकर व्याकुल हैं और तीन मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद घर वापस जाने के लिए सड़कों पर उतर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है।
पवार ने लिखा- पैदा हो सकती है बांद्रा जैसी समस्या
पवार ने लिखा है कि महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी मजदूर तीन मई को लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म होने के बाद बड़ी संख्या में अपने राज्य वापस जाने के लिए सकड़ों पर उतर सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि इससे कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है, जैसा कि पहले लॉकडाउन के अंतिम दिन मुंबई के बांद्रा में हुआ था। उन्होंने कहा कि ये घटना दर्शाती है कि अपने घर वापस जाने के लिए मजदूर कितने बेकरार हैं।
क्या हुआ था बांद्रा में?
14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने का ऐलान करने के बाद लगभग 1,000 प्रवासी मजदूर मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर इकट्ठा हो गए थे। ये मजदूर पास में ही स्थित पटेल नगरी की झुग्गी बस्ती के रहने वाले थे और उन्हें घर भेजने के लिए बसों का बंदोबस्त करने की मांग कर रहे थे। पुलिस ने कुछ मजदूरों पर लाठीचार्ज किया था और समझाने के बाद वे वापस लौट गए थे।
विशेष ट्रेनें चलाकर टाली जा सकती है कानून व्यवस्था की समस्या- पवार
पवार ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर रेलवे मंत्रालय प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष ट्रेनें चलाने का फैसला लेता है तो इस समस्या से बचा जा सकता है। उन्होंने लिखा है, 'लॉकडाउन खत्म होने के बाद अगर रेलवे मंत्रालय प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष ट्रेनें चलाता है तो कानून व्यवस्था की समस्या से बचा जा सकता है। रेलवे मंत्रालय को इसके लिए पहले से तैयारी करनी होगी। ये ट्रेनें मुंबई और पुणे से चलाई जानी चाहिए।'
पवार ने कहा, महाराष्ट्र के सरकारी कैंपों में रह रहे साढ़े छह लाख प्रवासी मजदूर
महाराष्ट्र के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले पवार ने अपने पत्र में बताया है कि राज्य के अलग-अलग इलाकों में साढ़े छह लाख प्रवासी मजदूर सरकार कैपों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों से आने वाले इन मजूदरों के लिए राज्य सरकार खाने समेत सभी चीजों की व्यवस्था कर रही है। बता दें कि महाराष्ट्र में अब तक कोरोना वायरस के 5,652 मामले सामने आ चुके हैं और 269 मौतें हुई हैं।
कैंपों में क्यों हैं प्रवासी मजदूर?
25 मार्च से पहला लॉकडाउन शुरू होने के बाद लाखों प्रवासी मजदूरों ने शहरों से गांवों की तरफ पलायन किया था। उनके जरिए गांवों में कोरोना वायरस पहुंचने के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को इन प्रवासी मजदूरों को कैंपों में रखने का आदेश दिया था। इसके बाद से अलग-अलग राज्यों में लाखों प्रवासी मजदूरों को इन कैंपों में रखा जा रहा है और सरकार उन्हें खाने सहित जरूरी सेवाएं प्रदान कर रही है।