विदेशी कंपनियों के लिए भारत में वैक्सीन लॉन्च करना हुआ आसान, कई शर्तों से मिली छूट
क्या है खबर?
भारत में अब विदेशी कंपनियों के लिए कोरोना वायरस वैक्सीन लॉन्च करना आसान हो गया है।
दरअसल, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने विदेशी कंपनियों के लिए भारत में वैक्सीन लॉन्च से पहले जरूरी ब्रिजिंग ट्रायल को समाप्त कर दिया है।
इसके अलावा अगर किसी कंपनी की वैक्सीन को कहीं मंजूरी मिली हुई है तो उसे भारत में उसकी गुणवत्ता की जांच भी नहीं करवानी होगी।
फाइजर और सिप्ला जैसी कंपनियों ने ऐसी राहतों की मांग की थी।
जानकारी
WHO से हरी झंडी पा चुकी वैक्सीन को भी ब्रिजिंग ट्रायल की जरूरत नहीं
मंगलवार को DGCI डॉ वीजी सोमानी की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि उन कोरोना वायरस वैक्सीनों को आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए ब्रिजिंग ट्रायल से छूट दी जा सकती है, जिन्हें अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन, जापान आदि देशों में नियामकीय मंजूरी मिल चुकी है।
इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से हरी झंडी पा चुकी वैक्सीन्स भी बिना ब्रिजिंग ट्रायल के भारत में लॉन्च की जा सकती है।
क्या आप जानते हैं?
क्या होता है ब्रिजिंग ट्रायल?
अभी तक किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन लॉन्च करने से पहले ब्रिजिंग ट्रायल करना होता था। इसमें सीमित संख्या में स्थानीय वॉलेंटियरों पर वैक्सीन की प्रभावकारिता और सुरक्षा को परखा जाता है।
कोरोना वायरस वैक्सीन
हर बैच की गुणवत्ता की जांच नहीं होगी
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ब्रिजिंग ट्रायल में छूट के अलावा कंपनियों को अब अपनी वैक्सीन की खेप के हर बैच की सेंट्रल ड्रग्स लैब (CDL) में जांच करवाना भी जरूरी नहीं होगा।
नोटिस में कहा गया है कि जिन देशों से वैक्सीन आ रही है, अगर उसे वहां की नेशनल कंट्रोल लैब से सर्टिफिकेट मिला हुआ है तो भारत में ऐसी जांच नहीं होगी, लेकिन उन सर्टिफिकेट आदि की जांच कसौली स्थित CDL में पहले की तरह होती रहेगी।
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इस शर्त का पालन अब भी जरूरी
DGCI की तरफ से जारी नोटिस में लिखा गया है कि बड़े स्तर पर इस्तेमाल से पहले शुरुआती 100 लाभार्थियों पर सात दिनों तक सेफ्टी आउटकम असेसमेंट की अनिवार्यता अभी भी लागू रहेगी और कंपनियों को इसका पालन करते रहना होगा।
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फाइजर ने मांगी थी छूट
बीते महीने एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि फाइजर भारत में वैक्सीन लॉन्च करने से पहले ब्रिजिंग ट्रायल और CDL कसौली में जांच की अनिवार्यता से छूट की मांग कर रही है।
भारत को पांच करोड़ खुराकें देने के लिए फाइजर ने इन दोनों शर्तों में छूट के साथ-साथ कानूनी पचड़ों से सुरक्षा की मांग की थी।
इसके अलावा मॉडर्ना की वैक्सीन खरीदने की योजना बना रही सिप्ला ने भी ब्रिजिंग ट्रायल से छूट मांगी थी।
कोरोना वैक्सीन
NEGVAC की सिफारिश पर लिया गया फैसला-DCGI
इससे पहले अप्रैल में DCGI ने एक और नोटिस जारी कर विदेशी कंपनियों के लिए भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी पाने के लिए जरूरी क्लिनिकल ट्रायल को समाप्त कर दिया था।
मंगलवार को जारी नोटिस में कहा गया है कि ताजा फैसला नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (NEGVAC) की सिफारिशों पर लिया गया है।
यह फैसला ऐसे समय आया है, जब देश में वैक्सीन की भारी कमी महसूस की जा रही है।
कोरोना संकट
विदेशी कंपनियों से वैक्सीन खरीदने की कोशिश में है सरकार
दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बावजूद भारत इन दिनों वैक्सीन की कमी का सामना कर रहा है। इसके चलते वैक्सीनेशन अभियान रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।
सरकार इस साल दिसंबर तक सबको वैक्सीन लगाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है और इसके लिए जरूरी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वह फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन आदि कंपनियों के संपर्क में है। जुलाई से फाइजर की वैक्सीन भारत आ सकती है।