अब हवा में फैल रहा है कोरोना वायरस? WHO की गाइडलाइंस में शामिल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से कोरोना वायरस को महामारी घोषित किए हुए 13 महीने बीत चुके हैं। इतने समय में दुनिया में इसके खिलाफ कई वैक्सीन तैयार हो चुकी है। यह किसी महामारी के खिलाफ इतने कम समय में वैक्सीन तैयार करने का रिकॉर्ड है। इसके बाद भी दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बीमारी के जनम कोरोना वायरस और SARS-CoV-2 को समझने में लगे हैं। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसके हवा में फैलने के संकेत दिए हैं।
वर्तमान में भी अदृश्य दुश्मन बना हुआ है कोरोना वायरस
दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए कोरोना वायरस अभी भी एक अदृश्य दुश्मन बना हुआ है। यह बेहद संक्रामक है। SARS-CoV-2 का प्रत्येक नया स्ट्रेन पिछले स्ट्रेन की तुलना में अधिक संक्रामक प्रतीत हो रहा है। चिकित्सकों को अभी तक यही पता है कि प्री-सिंड्रोम के दौरान संक्रमण सबसे तेजी से फैलता है। इस दौरान मरीज को यह भी पता नहीं होता है कि वह वायरस की चपेट में आ गया है और दूसरों को भी संक्रमित कर रहा है।
कैसे होता है कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार?
संक्रमण के प्रसार को लेकर शुरू से बहस जारी है। शुरुआत में WHO ने भी केवल संक्रमित व्यक्ति के लिए मास्क जरूरी बताया था। जुलाई 2020 में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने WHO की गाइडलाइंस में बदलाव करने और इसके एयरबोर्न (हवा में फैलना) होने का भी मुद्दा उठाया था। इसके बाद WHO ने इसके एयरबोर्न होने को स्वीकार करते हुए कहा था कि इस थ्यौरी को खारिज नहीं किया जा सकता। हालांकि, बाद में सुबूत नहीं होने की बात कही थी।
क्या वास्तव में एयरबोर्न हो गया है कोरोना वायरस?
संक्रमण के प्रसार पर इस साल उस समय फिर से बहस शुरू हो गई जब वैज्ञानिकों के एक समूह ने अप्रैल में द लासेंट में एक अध्ययन प्रकाशित करते हुए 10 सबूतों के आधार पर इसके एयरबोर्न होने का दावा किया था। संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अमेरिका में हुए MIT अध्ययन में कहा गया था कि इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेसिंग और छह फीट की दूरी का नियम अब कारगर साबित नहीं हो रहा है।
WHO की गाइडलाइंस में शामिल हुई एयरबोर्न की संभावना
अमेरिकी अध्ययन के बाद गत 30 अप्रैल को WHO ने अपनी गाइडलाइन को संशोधित करते हुए इसमें वायरस के एयरबोर्न होने की परिकल्पना को भी शामिल कर लिया है। संशोधित गाइडलाइंस के अनुसार अब बंद कमरे या गैर हवादार जगहों पर भी हवा के जरिए संक्रमण का प्रसार होने की बात कही है। वर्तमान साक्ष्यों के अनुसार वायरस का प्रसार मुख्य रूप से एक मीटर से कम दूरी के संपर्क पर सबसे अधिक होता है।
इस तरह से भी होता है संक्रमण का प्रसार
WHO के अनुसार लोगों की भीड़ वाली इनडोर जगह, बिना हाथ साफ किए आंख, नाक और मुंह को छूने से भी संक्रमण फैलता हैं। हालांकि, अन्य कारणों पर भी अभी अध्ययन चल रहा है। ऐसे में वायरस अभी भी अबूझ पहेली बना हुआ है।
वायरस के एयरबोर्न होने के पीछे क्या है सार्थकता
कोरोना वायरस पर महत्वपूर्ण अध्ययन में यह सामने आया है कि एयरोसोलाइज्ड वायरस हवा में भी लंबी दूरी तय कर सकता है। जबकि, इससे पहले यह माना जाता था कि एयरोसोल की बूंदें गुरुत्वाकर्षण बल के कारण जमीन पर गिर जाती है। ऐसे में ये हवा में आगे नहीं बढ़ सकती है। इसी तरह यह भी कहा गया था कि एयरोसोल की बूंदें छह फीट या एक मीटर के दूरी पर खड़े व्यक्ति को भी संक्रमित नहीं कर सकती है।
एयरबोर्न की संभावना से भारत में क्या हुए बदलाव?
कोरोना वायरस के एयरबोर्न होने की संभावना के बाद भारत सरकार ने अब लोगों को घरों में मास्क पहनने की सलाह जारी कर दी है। इसी तरह सरकार ने ऑडिटोरियम, सिनेमा हॉल या बड़े डाइनिंग हॉल में हवा के जरिए एयरोसोलाइज्ड वायरस की संभावना को खारिज नहीं किया है। इसके अलावा सरकार ने लोगों को घरों में N95 मास्क पहनने और भीड़-भाड़ से दूर रहने सहित विशेष तौर पर सजग रहने की सलाह जारी की है।
भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 3,57,229 नए मामले सामने आए और 3,449 मरीजों की मौत हुई। देश में लगातार तीसरे दिन नए मामलों में कमी आई है। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या दो करोड़ से पार पहुंचकर 2,02,82,833 हो गई है। इनमें से 2,22,408 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 34,47,133 हो गई है।