मिड डे मील योजना के तहत आने वाले बच्चों को 100-100 रुपये देगी सरकार
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को 100-100 रुपये देने का फैसला लिया है। ये राशि उन बच्चों को दी जाएगी, जो मिड डे मिल योजना के तहत आते हैं।
हालांकि, खाद्य सुरक्षा के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता इससे खुश नहीं है और उनका कहना है कि यह राशि पर्याप्त नहीं है।
सरकार ने देशभर में 11.8 करोड़ बच्चों के लिए 1,200 करोड़ आवंटित किए हैं और उन्हें यह पैसा एकमुश्त दिया जाएगा।
जानकारी
खाने बनाने की लागत के लिए तय मद से दिया जाएगा पैसा
शुक्रवार को शिक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर इस संबंध में जानकारी दी।
बयान में कहा गया है कि यह फैसला महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में बच्चों की इम्युनिटी और पोषण स्तर को बनाए रखने में मदद करेगा। इस काम के लिए केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 1,200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड देगी।
यह पैसा मिड डे मील में खाना बनाने की लागत के लिए आवंटित किए फंड से दिया जाएगा।
जानकारी
मिड डे मील के लिए कितना बजट?
द हिंदू के अनुसार, 2021-22 में मिड डे मील योजना के लिए केंद्र सरकार ने 11,500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
इसमें सबसे ज्यादा पैसा खाना बनाने की लागत के लिए रखा गया है, जिसमें दाल, सब्जियां, तेल, नमक और दूसरा सामान आदि कवर होते हैं।
पिछले साल पहली से पांचवीं कक्षा के प्रत्येक बच्चे के लिए खाना बनाने की लागत 4.97 रुपये और छठी से आठवीं कक्षा के बच्चे के लिए 7.45 रुपये निर्धारित की गई थी।
सवाल
सरकार के फैसले पर उठ रहे सवाल
अंबेडकर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर दीपा सिन्हा ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा, "कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद हैं और बच्चों को मिड डे मील की जगह कुछ जगहों पर नकदी और कहीं सूखा राशन दिया जा रहा है, लेकिन दोनों ही पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।"
सिन्हा ने कहा कि अगर ये पैसे हर महीने के हिसाब से भी दिए जाएंगे, तब भी रोजाना चार रुपये से कम होते हैं।
विकल्प
नकदी की जगह दिया जाए पर्याप्त राशन- सिन्हा
सिन्हा ने आगे अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि 100 रुपये की राशि को निकालने में अन्य खर्च भी आएंगे और अभी लॉकडाउन के चलते लोगों को बैंक जाने में भी परेशानी होगी।
उन्होंने नकदी देने का विकल्प सुझाते हुए कहा कि बच्चों का पोषण स्तर बनाए रखने के लिए उन्हें सूखा राशन, सब्जियां, दाल, चने और तेल आदि दिया जाना चाहिए।
अन्य कई विशेषज्ञों ने भी 100 रुपये की राशि को अपर्याप्त बताया है।
सुझाव
राशन और पकाने की लागत भी दे सरकारें- खेड़ा
IIT दिल्ली से जुड़ीं और खाद्य सुरक्षा के लिए काम करने वालीं रितिका खेड़ा ने कहा कि एक साल में लगभग 200 दिन स्कूल खुलते हैं तो उस हिसाब से बच्चों को हर साल 900-1,300 रुपये दिए जाने चाहिए। पिछले साल शायद ही किसी राज्य ने सूखा राशन देने के साथ-साथ उसे बनाने की लागत बच्चों को दी थी।
उन्होंने कहा कि सरकार को पिछले साल की बकाया राशि को भी बच्चों को देनी चाहिए।