सेशेल्स: सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन के बाद भी बढ़ रहे कोरोना के नए मामले
हिंद महासागर में स्थित देश सेशेल्स की 60 फीसदी से अधिक आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी हैं। यह दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है। इसके बावजूद पिछले कुछ समय से यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। 98,000 की आबादी वाले इस देश में फिलहाल 2,700 से अधिक सक्रिय मामले हैं। संक्रमण रोकने के लिए यहां पाबंदियों का ऐलान किया गया है।
दुनिया को चेता रही है सेशेल्स की स्थिति
सेशेल्स के 2,700 सक्रिय मामलों में से एक तिहाई वो लोग हैं, जो पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुके हैं। CNN के अनुसार, स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि यहां मामले बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि वैक्सीन काम नहीं कर रही है बल्कि यह स्थिति चेताती है कि वैक्सीनेशन के बावजूद दुनिया के देशों को महामारी से बचाव के सभी नियमों का पालन करना होगा और वो इस लड़ाई में ढिलाई नहीं बरत सकते।
कैसे बढ़े सेशेल्स में कोरोना के मामले?
पर्यटन पर बेहद आश्रित सेशेल्स लगभग एक महीने तक कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सफल होने को लेकर आश्वस्त था और उसने पर्यटकों के लिए लगाई गईं लगभग सभी पाबंदियां हटा दी थीं। उस वक्त देश में कोरोना के लगभग 3,800 मामले थे और 16 मौतें हुई थीं। उसके बाद से पिछले लगभग एक महीने में यहां संक्रमितों की कुल संख्या 9,000 से अधिक हो गई है और 33 लोगों की जान जा चुकी है।
सरकार का इस पर क्या कहना है?
बीते एक महीने में मामले बढ़ने की वजह साफ नहीं है, लेकिन यहां के विदेश और पर्यटन मंत्री सिलेवेस्टर रेडगोंडे ने कहा कि देश में वायरस पहले से मौजूद था, लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद लोग ज्यादा लापरवाह हो गए है, जिस वजह से वायरस फैलने लगा है। इसके अलावा बेहतर ट्रेसिंग और टेस्टिंग की वजह से भी मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि लोग लापरवाही से एक-दूसरे से मिल रहे हैं और सावधानी नहीं बरत रहे।
सेशेल्स में इस्तेमाल हो रहीं ये वैक्सीनें
सेशेल्स चीनी वैक्सीन सिनोफार्म और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा बनाई जा रही कोविशील्ड का इस्तेमाल कर रहा है। यहां 18-60 आयुवर्ग वाले लोगों को सिनोफार्म (कुल वैक्सीनेटेड लोगों का 57 फीसदी) और 60 से अधिक उम्र वालों को कोविशील्ड लगाई गई है।
वैक्सीन काम नहीं करती तो खराब होते हालात- सरकार
सेशेल्स के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अस्पताल में भर्ती लगभग 20 प्रतिशत मरीजों को वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी थीं और उनकी सेहत पूरी तरह ठीक थी। इसके अलावा वैक्सीन लगने वाले किसी भी संक्रमित को ICU की जरूरत नहीं पड़ी और न ही किसी वैक्सीनेटेड व्यक्ति की कोरोना से मौत हुई है। यहां की सरकार का कहना है कि वैक्सीन महामारी के खिलाफ मदद कर रही है। अगर ऐसा नहीं होता तो हालात काफी खराब होते।
वैक्सीनेशन के बाद भी ऐहतियात की जरूरत- विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि सेशेल्स ने वैक्सीनेशन में अच्छा काम किया है, लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि सिर्फ वैक्सीन की इस महामारी का इलाज नहीं है। दुनिया को संक्रमण और नए वेरिएंट को लेकर बेहद सतर्क रहना होगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा नहीं होगा कि कोरोना वायरस अचानक से दुनिया से गायब हो जाएगा। इस बात की बहुत संभावनाएं हैं कि दुनिया को इस वायरस के साथ ही जीना सीखना पड़ेगा।