कोरोना: पूरी तरह वैक्सीनेशन के बाद अस्पताल में भर्ती होने की मात्र 0.06 प्रतिशत संभावना- स्टडी
क्या है खबर?
कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई आशंकाएं घर कर गई हैं और डॉक्टर और विशेषज्ञ लगातार लोगों की इन आशंकाओं को दूर करते हुए वैक्सीनों को बेहद सुरक्षित बता रहे हैं।
अब एक स्टडी सामने आई है जो डॉक्टरों के इस दावे को सही प्रमाणित करती है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल द्वारा की गई इस स्टडी में सामने आया है कि वैक्सीनेशन के बाद अस्पताल में भर्ती होने की मात्र 0.06 प्रतिशत संभावना रहती है।
स्टडी
क्या रहे स्टडी के नतीजे?
दिल्ली के अपोलो अस्पताल ने यह स्टडी अपने अस्पताल के 3,235 स्वास्थ्यकर्मियों पर की थी जिन पर कोविशील्ड वैक्सीन लगने के 100 दिन बाद तक निगरानी रखी गई।
इनमें से केवल 85 स्वास्थ्यकर्मियों को लक्षणात्मक कोरोना संक्रमण हुआ। इनमें से 65 (2.62 प्रतिशत) स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी थीं, वहीं 20 (2.65 प्रतिशत) को वैक्सीन की एक ही खुराक लगी थी।
महिलाओं में संक्रमण ज्यादा देखने को मिला, वहीं उम्र का संक्रमण पर असर नहीं पड़ा।
आंकड़े
संक्रमण से 97.38 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है वैक्सीनेशन
इस तरीके से पूरी तरह वैक्सीनेशन के बाद स्वास्थकर्मियों को कोरोना संक्रमण से 97.38 प्रतिशत सुरक्षा मिली, वहीं संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना महज 0.06 प्रतिशत रही।
अपोलो अस्पताल समूह के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ अनुपम सिब्बल ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा, "कोरोना की दूसरी लहर में भारत में मामलों में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है। वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण की खबरें भी आई हैं।"
असर
गंभीर बीमारी से बचाती हैं वैक्सीन- डॉ सिब्बल
डॉ सिब्बल ने स्टडी के नतीजों पर कहा, "स्टडीज दिखाती हैं कि कोविड वैक्सीन 100 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान नहीं करती हैं। पूरी तरह से वैक्सीनेशन के बाद भी यह गंभीर बीमारी से बचाती है। हमारी स्टडी में देखा गया कि वैक्सीनेशन के बाद अस्पताल में भर्ती होने की दर 0.06 प्रतिशत थी। स्टडी दिखाती है कि वैक्सीनेशन के बाद बहुत कम लोगों में संक्रमण होता है और गंभीर बीमारी नहीं होती। ICU या मौत का एक भी मामला नहीं आया।"
विज्ञान
वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित होना असामान्य नहीं
बता दें कि वैक्सीन की दो खुराकों के बीच या इनके बाद किसी का संक्रमित होना असामान्य नहीं है और लापरवाही समेत इसके कई कारण हो सकते हैं।
दूसरी खुराक के 14 दिन बाद ही शरीर में एंटीबॉडीज की संख्या चरम पर पहुंचती है और अगर इससे पहले कोई लापरवाही करता है तो उसके संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है।
इसके अलावा कोरोना के म्यूटेंट वेरिएंट्स से संक्रमण का खतरा भी बना रहता है।
डाटा
देश में क्या है वैक्सीनेशन की स्थिति?
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान में अब तक वैक्सीन की 18,22,20,164 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 17,33,232 खुराकें लगाई गईं। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।