दिसंबर तक पूरी व्यस्क आबादी को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य कैसे चूका भारत?
भारत ने इस साल के अंत तक अपनी पूरी व्यस्क आबादी को पूर्ण वैक्सीनेट करने का लक्ष्य रखा था, जो हासिल नहीं किया जा सका है। मई में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सबसे पहले इस लक्ष्य का ऐलान करते हुए कहा था कि दिसंबर, 2021 तक सभी व्यस्क लोगों को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा, जबकि 30 दिसंबर तक देश की करीब 90 फीसदी व्यस्क आबादी को एक और 64 फीसदी आबादी को दोनों खुराकें लग पाई हैं।
लक्ष्य हासिल करने में लगेगा लंबा समय
विशेषज्ञों का कहना है कि पूरी व्यस्क आबादी को वैक्सीनेट करने में अभी लंबा समय लगेगा। BBC से बात करते हुए महामारी और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया ने इस लक्ष्य को अवास्तविक करार दिया है। उन्होंने कहा कि पूरी आबादी का वैक्सीनेशन किसी भी समय संभव नहीं है। हमेशा कुछ लोग होंगे, जो अलग-अलग कारणों से वैक्सीन नहीं लगवाना चाहेंगे। कई विशेषज्ञ लक्ष्य हासिल न होने के पीछे वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार को कारण मानते हैं।
सितंबर के बाद धीमी होती गई वैक्सीनेशन की गति
17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर देश में करीब 2.5 करोड़ खुराकें लगाई गई थीं, लेकिन उसके बाद आंकड़ा हासिल नहीं हो सका। सितंबर में जहां रोजाना औसतन 81 लाख खुराकें लगाई जा रही थीं, वहीं अक्टूबर में यह संख्या गिरकर 54 लाख और नवंबर में 57 लाख हो गई। दिसंबर के पहले सप्ताह से भी रोजाना लगाई जा रही औसतन खुराकों की संख्या कम होती जा रही है।
लक्ष्य के करीब पहुंचा सकती थी सितंबर की रफ्तार
कुछ जानकार मानते हैं कि देश में अगर सितंबर की रफ्तार से वैक्सीनेशन चलता रहता तो दिसंबर के अंत तक लक्ष्य के थोड़ा करीब पहुंचा जा सकता था। अब ओमिक्रॉन के खतरे के बीच सरकार ने राज्यों को वैक्सीनेशन तेज करने को कहा है।
वैक्सीनेशन अभियान में आईं चुनौतियां
देश में 16 जनवरी से शुरू हुए वैक्सीनेशन अभियान में कई चुनौतियां भी आईं। इनमें वैक्सीन की कमी, वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट और लॉजिस्टिक जैसे मुद्दे ने चुनौती खड़ी की। अप्रैल-मई में दूसरी लहर के दौरान देश में वैक्सीन की भारी कमी हो गई और कई वैक्सीनेशन केंद्र बंद करने पड़े थे। उसके बाद वैक्सीन आपूर्ति को सुधारा गया और अब वैक्सीन की आपूर्ति मांग से ज्यादा हो गई है। अब वैक्सीनेशन केंद्रों पर लोग नहीं आ रहे हैं।
घर-घर जाकर लगाई जा रही खुराकें
वैक्सीनेशन की कवरेज और रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार ने नवंबर की शुरुआत में घर-घर जाकर वैक्सीनेशन करने का फैसला किया था। इसकी शुरुआत के एक महीने के दौरान पहली खुराक की कवरेज 6 और दूसरी खुराक की कवरेज 12 प्रतिशत बढ़ गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई दिनों से अपनी किसी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन के लक्ष्य का जिक्र नहीं किया है। जब BBC ने मंत्रालय से इस बारे में पूछा तो कोई जवाब नहीं मिला।
स्टॉक में हैं पर्याप्त खुराकें
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल ही में संसद को बताया था कि देश में वैक्सीन की पर्याप्त खुराकें हैं। दूसरी तरफ मांग न होने के चलते पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने अपना उत्पादन कम किया है। पहले कंपनी हर महीने 25 करोड़ खुराकों का उत्पादन कर रही थी, जिसे अब आधा कर दिया गया है। भारत के वैक्सीनेशन अभियान में SII की कोविशील्ड का प्रमुखता से इस्तेमाल हो रहा है।
देश में आठ वैक्सीनों को मिली मंजूरी
भारत में अभी तक कुल आठ वैक्सीनों को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। इनमें कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, स्पूतनिक-V और जायडस कैडिला, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन, कोवावैक्स और कोर्बेवैक्स शामिल हैं।
3 जनवरी से शुरू होगा 15 से 18 आयुवर्ग का वैक्सीनेशन
भारत सरकार ने 3 जनवरी से 15 से 18 आयुवर्ग का वैक्सीनेशन शुरू करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 25 दिसंबर को इसका ऐलान करते हुए कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। देश के नाम संबोधन में उन्होंने 10 जनवरी से स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन कर्मियों और 60 साल से अधिक उम्र के बीमार लोगों को प्रिकॉशन डोज देने की शुरुआत की भी घोषणा की।