कोरोना वैक्सीनेशन अभियान: 100 करोड़ खुराकों तक भारत का सफर कैसा रहा?
भारत ने आज कोरोना वायरस वैक्सीन की 100 करोड़ खुराकें लगाने के ऐतिहासिक आंकड़े को पार कर लिया। जनवरी में वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने के बाद भारत को इस मुकाम तक पहुंचने में 278 दिन लगे। इसी के साथ भारत ऐसा करने वाला दुनिया का मात्र दूसरा देश बन गया है और अभी तक केवल चीन ऐसा कर पाया है। चलिए आपको भारत के इस ऐतिहासिक वैक्सीनेशन अभियान के अहम पड़ावों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
16 जनवरी को स्वास्थ्यकर्मियों के साथ शुरू हुआ वैक्सीनेशन अभियान
भारत का कोरोना वैक्सीनेशन अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ और पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई गई। 2 फरवरी को इसे अर्धसैनिक बलों, पुलिस और सफाई कर्मियों जैसे फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए खोल दिया गया। शुरू में वैक्सीनेशन की रफ्तार बेहद धीमी रही और 28 फरवरी तक पूरे देश में मात्र 1.4 करोड़ खुराकें लगीं। देश ने कोरोना वैक्सीन की एक करोड़ खुराकें लगाने का मुकाम 19 फरवरी को हासिल किया
मार्च में शुरू हुआ वैक्सीनेशन का दूसरा चरण
1 मार्च से वैक्सीनेशन अभियान को 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए खोल दिया गया। इस चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले वैक्सीन लगाई और लोगों को वैक्सीन लगवाने का संदेश दिया। 1 अप्रैल को इस चरण के दायरे को बढ़ा दिया गया और वैक्सीनेशन अभियान को 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए खोल दिया गया।
1 मई को सभी वयस्कों के लिए खुला वैक्सीनेशन अभियान
कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के बीच 1 मई को वैक्सीनेशन अभियान को 18 साल से अधिक उम्र के सभी वयस्कों के लिए खोल दिया गया। हालांकि सभी राज्यों में इस दिन से वयस्कों का वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुआ और सबने धीरे-धीरे इसे खोला।
दूसरी लहर के बीच पड़ी खुराकों की भारी कमी
देश में वैक्सीनेशन का दूसरा और तीसरा चरण ऐसे समय पर शुरू हुआ जब कोरोना की तीसरी लहर कहर मचा रही थी। वैक्सीन की भारी मांग और उत्पादन में कमी के कारण देश में खुराकों की कमी हो गई जिसके कारण सरकार ने 'वैक्सीन मैत्री' पहल के तहत अन्य देशों को किया जा रहा वैक्सीन का निर्यात रोक दिया। इसके अलावा 13 मई को कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच में अंतर को बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया गया।
देश ने ऐसे तय किया 10 करोड़ से 50 करोड़ खुराकों का सफर
इन समस्याओं के बीच 10 अप्रैल को भारत ने 10 करोड़ खुराकें लगाने का मुकाम हासिल किया, वहीं 25 मई को ये आंकड़ा 20 करोड़ हो गया यानि देश में 45 दिन में 10 करोड़ खुराकें लगीं। इससे अगली 10 करोड़ खुराकें मात्र 29 दिन में लगीं और 23 जून को देश ने 30 करोड़ खुराकों का पड़ाव हासिल कर लिया। अगली 20 करोड़ खुराकें 44 दिन में लगीं और 7 अगस्त को 50 करोड़ खुराकों का मुकाम हासिल किया।
मात्र 75 दिन में लगाई गईं अगली 50 करोड़ खुराकें
अगस्त तक भारत का वैक्सीनेशन अभियान पूरी रफ्तार में आ चुका था और देश में अगली 50 करोड़ खुराकें मात्र 75 दिन में लगा दी गईं। भारत के वैक्सीनेशन अभियान के लिए सितंबर का महीना सबसे अच्छा रहा और इस महीने कुल 23 करोड़ खुराकें लगाई गईं। सितंबर में ही 17 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 2.5 करोड़ से अधिक खुराकें भी लगाई गईं जो देश और दुनिया में एक रिकॉर्ड है।
वैक्सीनेशन अभियान के सामने अभी भी कई चुनौतियां
कोरोना वायरस की एक अरब खुराकें लगाना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि उसकी चुनौतियां खत्म हो गई हैं। देश में पहली खुराक लगवा चुके और पूरी तरह वैक्सीनेट लोगों के बीच जो अंतर है, वो दुनिया में सबसे ज्यादा है। लाखों लोग दूसरी खुराक लगवाने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं और अकेले तेलंगाना में 25 लाख लोगों ने दूसरी खुराक नहीं लगवाई है।