
परमाणु ऊर्जा से जुड़ी विदेशी कंपनियों के लिए उत्तरदायित्व नियम आसान बनाएगी सरकार- रिपोर्ट
क्या है खबर?
भारत अपने परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के प्रयासों में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए सरकार परमाणु दायित्व कानूनों को आसान बनाने की तैयारी कर रही है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारत उपकरण आपूर्तिकर्ताओं और परमाणु ऊर्जा से जुड़ी अन्य कंपनियों के लिए नियम आसान करने जा रहा है। इसके तहत दुर्घटना से संबंधित जुर्माने की सीमा को निर्धारित की जाएगी।
कानून
कौनसा नियम बदलने जा रही है सरकार?
रॉयटर्स के मुताबिक, परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा तैयार मसौदे में 2010 के असैन्य परमाणु दायित्व क्षति अधिनियम के एक प्रमुख खंड को हटा दिया गया है। इसके तहत कंपनियों को दुर्घटनाओं के लिए असीमित उत्तरदायित्व के दायरे में लाया जाता था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये प्रस्तावित बदलाव उन वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं, जिनमें सुरक्षा की जिम्मेदारी आपूर्तिकर्ता कंपनी की नहीं, बल्कि संचालन करने वाली कंपनी की होती है।
उद्देश्य
क्या है नियमों में बदलाव का उद्देश्य?
इस कदम का उद्देश्य उन अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करना है, जो एक दशक पुराने सख्त कानून की वजह से देश में काम करने से कतरा रही हैं।
सरकार को उम्मीद है कि इन प्रस्तावित बदलावों से जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक जैसी अमेरिका की कंपनियां भारत में काम शुरू करेंगी।
सूत्रों के अनुसार, सरकार को भरोसा है कि जुलाई में शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में इन बदलावों को मंजूरी मिल जाएगी।
हादसा
भोपाल गैस हादसे के बाद बना था सख्त कानून
1984 में भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में गैस रिसाव से 5,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों प्रभावित हुए थे। इसे दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक त्रासदी मानी जाती है।
घटना के बाद कंपनी ने करीब 4,000 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया था। इसके बाद ऐसे हादसों के लिए 2010 में सख्त कानून बनाया गया था। हालांकि, इस कानून की वजह से कंपनियां भारत में काम करने से कतरा रही हैं।
लक्ष्य
2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन करना चाहता है भारत
इसी साल मार्च में सरकार ने 'परमाणु मिशन' की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करना है।
इसके तहत 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जो देश की कुल ऊर्जा जरूरत का 10 प्रतिशत होगा।
मिशन के तहत केंद्र सरकार ने पहली बार परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला है।