चीन के साथ बैठक के बाद भारत बोला- शांति से विवाद निपटाने को तैयार दोनों देश
लद्दाख मेें सीमा पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए शनिवार को भारत और चीनी सेना के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय बैठक हुई। भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने भारत की ओर से बैठक की अगुवाई की। बैठक को लेकर रविवार को विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति का हल निकालने और शांति बनाए रखने के लिए दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक तौर पर जुड़े रहेंगे।
सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई बैठक
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'हाल के दिनों में भारत और चीन ने कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों के जरिये आपसी संचार बनाए रखने की कोशिश की, जिससे भारत-चीन सीमा के हालातों पर चर्चा की जा सके। 6 जून, 2020 को भारत की तरफ से लेह में स्थित कोर्प कमांडर और चीन के कमांडर के बीच बैठक हुई। चुशुल-मोल्दो क्षेत्र में हुई यह बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई।'
शांतिपूर्ण तरीके से हल निकालने पर राजी हुए दोनों पक्ष
बयान में आगे कहा गया है, 'दोनों पक्ष सीमा पर मौजूदा हालात को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने पर राजी हुए। इसके तहत दोनों देशों के बीच तय समझौतों को ध्यान में रखा जाएगा और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इस साल भारत और चीन के कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के 70 साल हो जाएंगे। ऐसे में दोनों पक्ष इन संबंधों आगे बढ़ाने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए।'
लगभग 5.30 घंटे तक चली थी बैठक
बयान के अंत में कहा गया है कि दोनों पक्ष हालात के समाधान और सीमाई इलाके में शांति बनाए रखने के लिए अपनी सैन्य और कूटनीतिक व्यस्तता जारी रखेंगे। बता दें कि शनिवार को हुई बैठक मोल्डो में हुई, जो टकराव की जगह से 20 किलोमीटर की दूर चीन के नियंत्रण वाले इलाके में है। यह बैठक लगभग 5:30 घंटे चली थी। सूत्रों के मुताबिक बातचीत सकारात्मक माहौल में खत्म हुई है। इससे आगे बातचीत का रास्ता खुला हुआ है।
इस बार मामला ज्यादा गंभीर
भारत और चीन के बीच पिछले लगभग एक महीने से सीमा विवाद चल रहा है। यह लद्दाख के पैंगॉन्ग झील और गलवान घाटी के इलाकों को लेकर है। दोनों देशों के बीच इससे पहले भी सीमा का लेकर विवाद हुआ है, लेकिन इस बार यह ज्यादा गंभीर है। इसकी गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्थानीय कमांडरों की दसियों बैठक के बाद भी इसका नतीजा नहीं निकला है।
अप्रैल से हुई विवाद की शुरुआत
भारत और चीन के बीच की सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है। इस बार का विवाद पैंगोस झील के आसपास स्थित पहाड़ियों के इलाके को लेकर है। 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित यह झील लगभग 135 किलोमीटर लंबी है। इसमें से 45 किलोमीटर इलाका भारत में है। झील के आसपास स्थित पहाड़ियों को आठ फिंगर कहा जाता है। फिंगर चार तक का इलाका भारत के नियंत्रण में है।
भारत के आपत्ति के बावजूद चीन अड़ा
फिंगर चार से लेकर आठ के बीच भारत और चीन की सेनाएं गश्त करती हैं। भारतीय सेना यहां अधिकतर पैदल गश्त करती है। विवाद तब शुरू हुआ जब चीन की सेना फिंगर चार तक आ गई और अब वह भारतीय सेना को यहां से आगे नहीं जाने दे रही है। भारतीय सेना चाहती है कि वह फिंगर आठ तक गश्त करे और चीनी सेना वापस अपनी पूर्व स्थिति पर चली जाए, लेकिन चीन ऐसा नहीं कर रहा है।