LoC पर देश की रक्षा करते हुए गवां दिया था पैर, अब जीते तीन गोल्ड मेडल

2008 जून में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर अपना एक पैर गंवाने वाले 32 वर्षीय जवान आनंदन गुनासेकरन ने हिम्मत नहीं हारी और 11 साल बाद दौड़ में ट्रिपल गोल्ड जीता है। पिछले हफ्ते ही उन्होंने चीन के वुहान में वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स में बाएं पैर में ब्लेड लगे होने के बाद 100, 200 और 400 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीता। जानें उनके साथ क्या हुआ और कैसे वह यहां तक पहुंचे हैं।
4 जून, 2008 को रूटीन चेकअप के दौरान आनंदन का पैर LoC पर बर्फ में छिपाकर रखे माइन पर पड़ गया और तेज धमाके के बाद उनके कान सुन्न हो गए। जब उनके कान सही हुए तो उनकी चीख से इलाका गूंजने लगा, क्योंकि उनका बायां पैर घुटने के नीचे तक उड़ गया था। आनंदन के साथी घबराए हुए थे और आनंदन की भी हिम्मत नीचे अपने पैर को देखने की नहीं हो रही थी।
दुर्घटना के एक साल बाद आनंदन अस्पताल में भर्ती थे और कई सर्जरी से गुजर चुके थे। उसी दौरान उन्होंने मैगजीन में एक आर्टिकल में गोल्ड मेडल जीतने वाले पैरालंपियन ऑस्कर प्रिस्टोरियस के बारे में पढ़ा। प्रिस्टिोरियस के बारे में पढ़ने के बाद आनंदन ने मन बना लिया था कि उन्हें भी यही करना है। आनंदन कटे हुए बाएं पैर की जगह पर लकड़ी के पैर का इस्तेमाल कर रहे थे।
आनंदन के मुताबिक लकड़ी के पैर के साथ दौड़ते हुए वह कई बार गिरते थे, लेकिन उन्हें पता था कि यही उनका नया जीवन है। उन्होंने आगे बताया, "जब मैं प्रैक्टिस करता था तो मुझे देखने वाले लोग, जिन्हें यह पता नहीं था कि मैं किस दौर से गुजरा हूं, मुझे पागल कहते थे। परिवार से भी मुझे सपोर्ट नहीं मिलता था क्योंकि मैंने उन्हें इस बारे में बताया नहीं था।"
आनंदन ने कहा, "मेरे परिवार को केवल इतना पता था कि मेरा एक्सीडेंट हुआ है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि मेरा एक पैर कट गया है। मैं उनका इकलौता बेटा हूं तो उन्हें यह जानकर काफी दुख होता।"
2014 में आर्मी ने आनंदन के पैर पर ब्लेड लगवाए और उन्होंने ट्रेनिंग शुरु की। 2014 में वह पहले ग्रैंड प्रिक्स के लिए ट्यूनीशिया गए और 200 मीटर में गोल्ड तथा 100 मीटर में सिल्वर जीता। अगस्त में उन्होंने पेरिस में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स में 200 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीता। फिलहाल आनंदन पुणे में आर्मी इन्स्टीट्यूट में ट्रेनिंग ले रहे हैं।