
#NewsBytesExplainer: क्या है अटारी-वाघा सीमा का इतिहास, इसके बंद होने का क्या होगा असर?
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को लेकर कई बड़े कदम उठाए हैं। इनमें सिंधु जल समझौते को रोकना, दूतावास बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश देना और अटारी-वाघा सीमा को तत्काल बंद करना शामिल है।
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार और आवाजाही के नजरिए से अटारी-वाघा सीमा काफी अहम है।
आइए जानते हैं इसके बंद होने का क्या असर हो सकता है।
सीमा
सबसे पहले अटारी-वाघा सीमा के बारे में जानिए
अटारी-वाघा सीमा भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा है। भारत में स्थित अटारी और पाकिस्तान में स्थित वाघा गांव की वजह से इसे ये नाम मिला है। ये लाहौर से करीब 24 और अमृतसर से करीब 28 किलोमीटर दूर है।
ये भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र सड़क चेकपोस्ट और व्यापार का सड़क मार्ग है।
वाघा सीमा भारत-पाकिस्तान की सेनाओं के बीच होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए प्रसिद्ध है।
इतिहास
क्या है वाघा सीमा का इतिहास?
पुराने समय से ही भारत अहम व्यापारिक केंद्र रहा है। भारत को मध्य एशिया से जोड़ने के लिए एक विशाल मार्ग था, जिसे ग्रैंड ट्रंक रोड कहा जाता है। इसी मार्ग पर व्यापार के प्रमुख केंद्र अमृतसर और लाहौर पड़ते थे।
आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान को विभाजित करने वाली अंतरराष्ट्रीय रेखा इसी कॉरिडोर से गुजरी। भारत के हिस्से में अटारी आया और पाकिस्तान के हिस्से में वाघा।
इसी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बनी चेकपोस्ट को अटारी-वाघा चेक पोस्ट कहा गया।
अहमियत
कितनी अहम है अटारी-वाघा सीमा?
अटारी-वाघा सीमा आर्थिक और सैन्य दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह पाकिस्तान के साथ भारत का पहला और एकमात्र चालू भूमि बंदरगाह है और दोनों देशों के बीच व्यापार और संपर्क के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में कार्य करता है।
इसके जरिए भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक सामानों का आयात-निर्यात करता है।
ये चेकपोस्ट एशियाई राजमार्ग नेटवर्क का भी हिस्सा है, जो इसे अंतरमहाद्वीपीय संपर्क का रणनीतिक घटक बनाता है।
व्यापार
सीमा के जरिए कितना व्यापार होता है?
2023-24 में अटारी-वाघा सीमा से 6,871 ट्रकों और 71,563 यात्रियों की आवाजाही हुई। इस सीमा के जरिए दोनों देशों के बीच 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार दर्ज किया था।
2017-18 और 2018-19 में इस सीमा के जरिए 4,100 से लेकर 4,300 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था।
वहीं, 2019-20 में यह घटकर 2,772 करोड़ और 2020-21 में 2,639 करोड़ रुपये पर था। 2022-23 में व्यापार और गिराकर महज 2257.55 करोड़ रुपये रह गया था।
असर
सीमा बंद होने से कितना नुकसान होगा?
अटारी-वाघा सीमा दोनों देशों के बीच व्यापार का प्रमुख केंद्र है। इसके बंद होने से व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा।
इस सीमा से भारत सोयाबीन, चिकन, सब्जियां, मिर्च, प्लास्टिक दाना और प्लास्टिक यार्न जैसी चीजें निर्यात करता है। वहीं, पाकिस्तान और उसके बाहर से सूखे मेवे, खजूर, जिप्सम, सीमेंट, कांच, सेंधा नमक और जड़ी-बूटियां आयात करता है।
भारत का अफगानिस्तान के साथ व्यापार भी इसी सीमा के जरिए होता है। ऐसे में उस पर भी असर पड़ना तय है।
पंजाब
पंजाब पर ज्यादा असर पड़ना तय
अटारी सीमा के जरिए होने वाले व्यापार की वजह से पंजाब में आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हुआ है।
इससे स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।
ग्रामीण और औद्योगिक विकास अनुसंधान केंद्र (CRRID) के मुताबिक, "पंजाब में लघु-स्तरीय इकाइयों द्वारा निर्मित स्ट्रॉ रीपर पाकिस्तान को निर्यात किए जाने वाला महत्वपूर्ण उत्पाद है। 2016-17 और 2018-19 के 549-1,110 स्ट्रॉ रीपर निर्यात किए गए थे, जिनसे 1,844 लाख से लेकर 2,488 लाख रुपये के बीच आय हुई थी।"